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भाषण : फरीदपुरमें

राजनीतिक जीवन की आधारशिला है, जिसके पीछे हम सभी पड़े हुए हैं। किन्तु जब- तक आधारशिला बिलकुल समतल नहीं होगी और उसे पक्की तौरपर जमाया नहीं जायेगा, तबतक उसपर विशाल जीवनकी कोई इमारत खड़ी नहीं हो पायेगी। नगर- पालिकाका कार्य सेवाका कार्य है। आपको नागरिकोंके स्वास्थ्यकी देखभाल करनी है। आपको जल-वितरणकी देखभाल करनी है। यह बंगालके लिए एक बहुत बड़ी आवश्यकता है, विशेषकर पूर्वी बंगालके लिए।

मैं जानता हूँ कि अभिनन्दन-पत्रमें उल्लिखित मलेरिया-उन्मूलन के बारेमें उपचार- की आवश्यकता है, किन्तु मुझ-जैसे दुर्बलकाय अपूर्ण मानवके लिए कोई बना बनाया नुस्खा बताना असम्भव है। मैं कोई ऐसा डाक्टर या वैद्य तो नहीं हूँ जिसकी जेबमें बहुत-सी औषधियाँ पड़ी हों, जिनमें से किसी एकको वह जीवनको सभी बीमारियोंके लिए रामबाणकी तरह दे दे। मैं जानता हूँ कि इनका उपचार नगरपालिकाके सेवा- कार्यके जरिये ही किया जा सकता है। आप इस सेवाको ऊपरसे शुरू नहीं कर सकते। यह नीचेसे ही प्रारम्भ करनी होगी। यही बात मैं समय-असमय चरखके बारेमें भी कहता आया हूँ। यह आपके शहरों में गाँवों-जैसी सादगी ला रहा है और चरखका यही सन्देश है। चूंकि गाँव ही नगरोंका भरण-पोषण कर रहे हैं, इसलिए गाँवोंके इस महान उपकारके बदले शहरोंके लोगोंको भी गाँवोंका कुछ भला तो करना चाहिए। मुझे आशा है कि आप चरखेकी ओर ध्यान देंगे। जैसा कि मैंने बताया है, चरखा ही आपके बृहत्तर राजनीतिक जीवनको आधार-शिला है। मुझे इसमें जरा भी सन्देह नहीं कि उस बृहत्तर जीवनका क्रम आपके चलाये बिना स्वयं ही चलता रहेगा, पर स्वराज्य — जो मेरे जीवनका स्वप्न है — तबतक हासिल नहीं किया जा सकता जबतक कि आप इन साधारण-सी छोटी-छोटी चीजोंको स्वयं नहीं करेंगे। मुझे आशा है कि देहाती क्षेत्रोंसे आनेवाले सदस्य अपनी-अपनी नगरपालिकाओंके स्कूलोंमें चरखे शुरू करायगे और कताई करनेवाले दल तैयार करायेंगे। वे खद्दर पहनना अनिवार्य बना सकते हैं।

[अंग्रजीसे]

अमृतबाजार पत्रिका, ४-५-१९२५