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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

योंको गोलीसे उड़ा देनेके और शहादतका ताज पहननेके कितने ही मौके आये; पर उनमें से किसीपर गोली चलानेको मेरा दिल तैयार न हुआ, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि वे मुझपर गोली चलायें—चाहे वे मेरे साधनोंको कितना ही नापसन्द क्यों-न करते हों। मैं तो यह चाहता था कि वे मुझे मेरी गलती समझा दें। मैं भी उन्हें उनकी गलती समझाने की कोशिश कर रहा था। 'आत्मनः प्रतिकूलानि परेषाम् न समाचरेत्।'

अफसोस! आजके मेरे स्वराज्य में सैनिकोंके लिए स्थान है। मेरे ये क्रान्तिकारी मित्र इस बातको जान लें कि मैंने अंग्रेजोंके द्वारा इस सारे देशके निःशस्त्रीकरणको और लोगों में तज्जनित पौरुषहीनताको अंग्रेजोंका महाजघन्य अपराध बताया है। मैं देशको सार्वत्रिक अहिंसाका उपदेश करने की क्षमता नहीं रखता। इसलिए मैं अहिंसाका संकुचित रूपमें ही उपदेश करता हूँ। वह देशकी स्वतन्त्रता प्राप्त करनेके उद्देश्यतक और इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धोंको शान्तिमय साधनोंसे नियमित करने के उद्देश्यतक परिमित है। परन्तु यहाँ मेरी अक्षमताका कोई गलत अर्थं न समझे—उसे अहिंसा-सिद्धान्तकी अक्षमता न समझ लें। वह मुझे अपनी बुद्धि द्वारा ज्वलन्त दिखाई देता है। मेरा हृदय उसपर मुग्ध है; परन्तु अभी मैं अपने जीवन में उसको इतना नहीं उतार सका हूँ जितना कि अहिंसाके सार्वत्रिक और सफल प्रचारके लिए आवश्यक है। इस महान् कार्यके लिए मेरी अभी आवश्यक प्रगति नहीं हो पाई है। अभी मेरे अन्दर क्रोध मौजूद है—अब भी मेरे अन्दर द्वैतभाव बना हुआ है। मैं क्रोध या विकारोंको नियन्त्रित कर सकता हूँ, उन्हें अपने अधीन रखता हूँ, परन्तु अहिंसा के सार्वत्रिक और सफल प्रचारके लिए मुझे विकारोंसे पूर्णतः रहित हो जानेकी आवश्यकता है। मेरी स्थिति ऐसी हो जानी चाहिए कि मुझसे कोई पाप बने ही नहीं। इसलिए क्रान्तिकारी लोग मेरे साथ और मेरे लिए ईश्वरसे प्रार्थना करें कि मैं शीघ्र ही उस अवस्थाको पहुँच जाऊँ। परन्तु तबतक वे मेरे साथ एक कदम आगे बढ़े जो मुझे सूर्यके प्रकाशके सदृश स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है; अर्थात्—भारतकी स्वाधीनता बिलकुल शान्तिमय उपायोंसे प्राप्त करना। और स्वराज्य प्राप्त हो जानेपर जबतक मैं या और कोई देशके अन्दर शान्ति सुव्यवस्था कायम रखने और बाहरी आक्रमणकारियोंका मुकाबला करनेके लिए पुलिस-सेनासे कोई बेहतर उपाय नहीं सुझाता तबतक इन दायित्वोंका निर्वाह करनेके लिए स्वराज्यके अन्तर्गत भी मैं और आप लोग शिक्षित, बुद्धिमान और अनुशासित पुलिस-सेना रखेंगे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ७–५–१९२५