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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

विचारपूर्वक इस बातका ध्यान रखा गया है कि उससे किसीका दिल न दुखे। उन्होंने हिंसाकी जो निन्दा की है वह मीन-मेखसे परे है। यदि मुझसे इसका समर्थन करनेके लिए कहा जाये तो शायद मैं इसमें एक भी शब्द या वाक्यांश न बदलूं। मेरी राय में उन्होंने अंग्रेजों और हमारे बीच विद्यमान खाईको सुन्दर ढंगसे पाट दिया है। उसका लाभ उठाना अब उनका काम है।

प्रस्ताव

प्रस्ताव मुख्यतः भाषणसे निष्पन्न हैं। उनकी उपादेयताके सम्बन्धमें शंका की गई है, क्योंकि विषय समिति में कुछ प्रस्तावोंके सम्बन्धमें मतभेद है। मतभेद तो थे; किन्तु मेरी राय में इसी कारण इन प्रस्तावोंका महत्त्व और भी बढ़ जाता है। ये प्रस्ताव पूरे विचार और विवेचनके बाद स्वीकृत किये गये हैं। मतभेद व्यक्त करना प्रगतिका शुभ लक्षण है, उनको अमल में लानेकी असमर्थताका नहीं।

खद्दरके विकासकी सम्भावनाएँ

बंगाल में खादी के प्रचारके सम्बन्ध में जो नई बातें मालूम हुई हैं, मुझे इनकी आशा नहीं थी। फरीदपुरमें जो कृषि और उद्योग सम्बन्धी प्रदर्शनी हुई थी, उसे खद्दर प्रदर्शनी ही कहें तो ज्यादा ठीक होगा। प्रदर्शनी में खद्दरको कोई मामूली स्थान नहीं दिया गया था। वह तो अन्य सभी प्रदर्शित वस्तुओंपर छाया हुआ था। प्रदर्शनी में कई जुलाहे थे, उनमें से कुछ कलापूर्ण नमूने बुन रहे थे; किन्तु सभी हाथकता सूत या रेशम काममें ला रहे थे। श्रीरामपुरके सरकारी औद्योगिक संस्थानने भी अपने कार्यकर्त्ता भेजे थे। वे पटसनका धागा कातकर और उससे सम्बन्धित अन्य प्रक्रियाएँ करके दिखाते थे। पटसन बंगालमें एक बहुत बड़ा उद्योग है, अतः उससे बहुत से लोगोंको घर बैठे सम्मानपूर्ण धन्धा मिल सकता है। इस समय पटसन खेतोंसे सीधा कारखानों में चला जाता है और उससे जूट उत्पादक किसानोंको किसी भी तरह विशेष लाभ नहीं हो पाता। बंगालमें सामान्यतः जो सूत काता जाता है। वह आन्ध्रमें कते सुतसे संम्भवतः अधिक अच्छा होता है। प्रदर्शनी में जो कताई प्रतियोगिता की गई थी उससे स्वेच्छासे कातनेवाले लोगोंकी एक विशेष कुशलता व्यक्त होती थी जो कदाचित् कहीं अन्यत्र दिखाई नहीं देगी। खादीके नमूने आन्ध्रकी सर्वोत्कृष्ट खादीके नमूनोंसे अच्छे ही होंगे। यदि बंगालमें सूत कताईका काम सुसंगठित कर दिया जाये तो वहाँ सम्भवतः एक वर्षमें ही आन्ध्रसे अधिक बारीक सूत कताई होने लगे। इस मामलेमें कदाचित बंगालसे कोई अन्य प्रान्त स्पर्धा नहीं कर सकता।

फरीदपुरकी प्रदर्शनीकी तरह मिरजापुर पार्क में भी खादी प्रतिष्ठानकी तरफसे एक प्रतियोगिताकी व्यवस्था की गई थी। नाकीपुरके एक प्रसिद्ध जमींदार राय यतीन्द्रनाथ चौधरी और एक नामी कवयित्री श्रीमती कामिनी रायने उसमें भाग लिया था। उसमें बाबू श्यामसुन्दर चक्रवर्ती और प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके मन्त्री सतीश बाबू भी शामिल हुए थे; यहाँतक कि खुद आचार्य रायने भी भाग लिया था। वे इस समय भी कोई बारह अंकका अच्छा एकसार सूत कात लेते हैं। वे कहते हैं कि चरखा दिन-दिन उनके हृदयमें घर करता जाता है और उन्हें सूत कातनेमें बहुत