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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मुस्लिम प्रश्नके बारेमें भी है। दोनों चीजें साथ-साथ चलती है। इस प्रकार आप देखेंगे कि केवल कताईसे स्वराज्य मिलना सम्भव है।

किन्तु मैं आपको कुछ और गहराईमें ले जाना चाहता हूँ। क्या आप जानते हैं कि वायलिनके बाजेका जो तार मेरे हाथमें है उसे छोड़कर शेष सभी तारोंपर सरकारकी अंगुलियाँ जमी हुई है? जो तार मेरे हाथमें है वह है अहिंसा। आप स्वराज्य केवल अहिंसासे प्राप्त कर सकते हैं, हिंसासे कभी नहीं। यदि आपका इस बातपर विश्वास जमता है तो आपकी समझमें शीघ्र ही आ जायेगा कि केवल कताईके जरिये आप स्वराज्य प्राप्त कर सकते हैं; क्योंकि अहिंसाको कार्यरूप में परिणत करनेका केवल यही मार्ग है कि चरखेको घर-घर में स्थान दिलाने के शान्तिपूर्ण कार्यक्रमको पूरा किया जाये। आप हिन्दू-मुस्लिम समस्याको किस प्रकार हल करेंगे? केवल इस प्रकार ही न कि हिन्दू लोग मुसलमानोंके लिए खादीका कार्य करें और मुसलमान लोग हिन्दुओंके लिए। और इस बात के लिए कि हिन्दू, मुसलमान तथा अछूत साथ-साथ मिलकर कार्य करने लग जायें, इसके लिए आप लोगोंको विश्वास और श्रद्धा के साथ अथक परिश्रम करते रहना होगा। सबसे आसान बातको ही पहले लीजिए, कठिन बात जाने दीजिए। कठिन बातके क्षेत्रमें आते हैं महाराजा, नवाब आदि। हमको देश भर में कुशल बुनकरों और कतैयोंका जाल-सा बिछा देना चाहिए और चरखेको कार्यक्रमका केन्द्र बना लेना चाहिए। ऐसा मत कहिए कि वातावरण बिगड़ा हुआ है। मतभेद हैं तो रहने दें। आप उनके रहते हुए भी कातना जारी रखें। आप देखेंगे कि एक दिन आयेगा जब आपके चारों ओर आप जैसे ही कातने-वाले पैदा हो जायेंगे। यदि आप साफ हैं तो एक दिन निश्चित रूपसे आपके इर्द-गिर्द के सब लोग सफाई अपना लेंगे। क्या मैं ब्रह्मचर्य, सत्य और अहिंसाको महज इसलिए त्याग दूँ कि मेरे चारों ओर इनके विपरीत आचरण किया जा रहा है? नहीं, मुझे अपना कार्य इस विश्वासके साथ जारी रखना होगा कि मेरा तरीका सही है, भले ही इस तरीकेसे काम करनेवाला अकेला मैं ही क्यों न रह जाऊँ।

आप पूछते हैं कि कातनेवाले किस प्रकार स्वराज्य प्राप्त करायेंगे? मैं कहता हूँ कि यदि आपने चरखेको सार्वभौम बना लिया तो इसके बाद कुछ भी करनेकी आवश्यकता नहीं रहेगी। तब आपके पास ऐसी शक्ति और ऐसा बल आ जायेगा जिसे हरएक शख्स खुद-ब-खुद मानने लगेगा।

किन्तु हो सकता है कि हमारा संघर्ष लम्बे अर्से तक चले। परन्तु इससे छोटा कोई रास्ता है ही नहीं। मैं केवल १००० सच्चे कार्यकर्त्ताओंको लेकर कांग्रेसको एक जीवन्त संस्था बना सकता हूँ। दस लाख न कातनेवाले लोग, जो ४ आने चन्दा देने में अपने कर्त्तव्यकी इतिश्री समझते हैं, बोझ ही नहीं, उससे भी बदतर होंगे। ईश्वर में मेरा विश्वास है और इस बात में भी कि वास्तव में समय आनेपर उक्त थोड़े-से लोग ही काम कर दिखायेंगे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २१-५-१९