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२९. भाषण : मलखानगर में

९ मई, १९२५

पहली बात तो यह है कि कातनेसे ही स्वराज्य मिल सकता है, यह मैंने नहीं कहा, यद्यपि मेरा विश्वास यही है। सूत काते बिना स्वराज्य नहीं मिल सकता है, यह बात मैंने बार-बार कही है। मैं ये दोनों बातें सिद्ध करके दिखानेके लिए तैयार हूँ। कातनेका अर्थ क्या है? कातनेका अर्थ यह है कि हमें कताईको सार्वजनिक बना देना है, अर्थात् लुढ़ाई, बुनाई और कताई यह सब क्रियाएँ हमें जान लेनी चाहिए और कते हुए सूतकी खादी बुनवा लेनी चाहिए। इन सब क्रियाओंको स्वयं कर सकने और करोड़ों लोगोंको सूत कातनेमें लगाने के लिए भगीरथ प्रयत्नकी आवश्यकता है। इसका अर्थ है समस्त देशमें एक सजीव तन्त्र स्थापित करना। जैसे बड़े जहाजमें कप्तानका हुक्म जहाजके सब लोग मानते हैं और यदि वे न मानें तो उसे उनको गोलीसे उड़ा देनेका अधिकार होता है, ऐसे तन्त्रकी व्यवस्था करना क्या कोई छोटा-मोटा काम है? यदि आप करोड़ों लोगोंको सूत कातनेमें लगा देंगे तो उससे अस्पृश्यता-निवारणका प्रश्न भी हल हो जायेगा और हिन्दू-मुस्लिम ऐक्यका भी। अस्पृश्यता इससे कैसे दूर हो सकती है? अस्पृश्य लोग आज खादीके काममें जो भाग लेते हैं सो मेरी खातिर। मद्रासमें अस्पृश्योंने मुझसे कहा कि जब लोग हमें अस्पृश्य मानते हैं तब हमें उनका काम करनेकी क्या जरूरत है? हम उनके लिए खादी क्यों बुनें? फिर भी वे मेरी खातिर उनकी खादी बुनते हैं। जब अस्पृश्यता मिट जायेगी तब वे स्वेच्छापूर्वक इस कार्यमें पूरा रस लेने लगेंगे और जब वे पूरा रस लेने लगेंगे तब अस्पृश्यता भी लुप्त हो जायेगी। जबतक हिन्दू और मुसलमान एक होकर काम नहीं करते तबतक क्या खादीके कार्यकी साधना पूरी हो सकती है? इस प्रकार सब जातियोंको सूत कातनेमें लगानेके लिए आपको ऐसी सीलनभरी जगहोंमें जीवन बिताना पड़ेगा।

किन्तु आप पूछेंगे कि कताईका अर्थ स्वराज्य कैसे है? मेरा उत्तर यह है कि यदि आप कताईका प्रचार सर्वत्र कर देंगे तो आज कांग्रेसके सम्मुख जो तीन जबरदस्त प्रश्न हैं—ये तीनों हल हो जायेंगे, और जब ये तीनों प्रश्न हल हो जायेंगे तब बाकी कौनसा प्रश्न रह जायेगा? जब ये तीनों काम पूरे हो जायेंगे तब हम अपनी निश्चित शर्तें पूरी करानेकी माँग पेश कर सकेंगे। उसके बाद यदि अंग्रेजोंको जाना हो तो वे चले जायें और यदि उन्हें हमारी शर्तोंपर रहना मंजूर हो तो वे रहें। अब आप प्रश्न करेंगे कि जिन अंग्रेजोंसे हम इतने लड़े और जिन्होंने हमपर इतने अत्याचार किये क्या आप उनसे सहयोग करेंगे? मेरा उत्तर है, हाँ, जरूर करूँगा, क्योंकि मुझे तो शत्रुको भी मित्र बनाना है।

कातनेसे ही स्वराज्य मिल सकता है, यह बात समझने के लिए आपको एक बात भली-भाँति जान लेनी चाहिए। वह यह है कि आप किस उपायसे स्वराज्य