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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सुविधाजनक रहेगा। ऐसा स्थान तो शायद ही हो जो सबको समान रूपसे सुविधाजनक हो। जब बम्बईका विचार किया गया तब बंगाली सदस्य कुछ परेशानसे हुए। अब पटनाके नियत किये जानेसे सुदूरवर्ती प्रान्त सिन्ध विरोध कर रहा है। कितना अच्छा होता, अगर मैं बैठकके स्थानके लिए पटनाके चुनावका औचित्य सिद्ध करते हुए सभी सदस्यों और प्रान्तोंको भी खुश कर पाता। मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूँ कि इसे इस कारणसे चुना गया कि बहुत-से लोगोंके खयालसे पटना सबसे उपयुक्त स्थान है, लेकिन विशेषकर इसलिए कि पण्डित मोतीलालजीने अपने विधान सभाई साथियोंके साथ सलाह करके पटनाको ही पसन्द किया। और जब मैंने देखा कि पटनाको चुनना पण्डितजीके स्वास्थ्यको दृष्टिसे अधिक अच्छा होगा, तब मैंने तनिक भी आगा-पीछा किये बिना बैठकके स्थानके लिए उसीको चुन लिया। अभी वे बिलकुल चंगे नहीं हो पाये है और यह भी नहीं कहा जा सकता कि उनमें पूरी ताकत आ गई है। दमेका दौरा अभी थमा ही है। यह फिरसे न उखड़े इसके लिए बड़ी सावधानी और देखभालकी जरूरत रहती है। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि कोई सदस्य केवल इसी कारणसे कि पटना उसके अपने स्थानसे बहुत दूर पड़ता है, अनुपस्थित नहीं रहेगा।

अखिल भारतीय चरखा संघ

यदि सब बातें ठीक होती गई तो मेरा इरादा इसी बैठकमें अखिल भारतीय चरखा संघका श्रीगणेश कर देनेका है। इसलिए मैं चाहूँगा कि खादीके काममें लगे हुए ऐसे तमाम कार्यकर्ता, जो इस अनुष्ठानमें दिलचस्पी रखते हों और जिनके पास मूल्यवान सुझाव हों, बैठककी अवधिमें पटनामें जरूर पहुँचें, चाहे वे कांग्रेस कमेटीके सदस्य हों या न हों। मैं चाहूँगा कि वे बाबू राजेन्द्रप्रसादको अपने आने और ठहरनेके स्थानकी सूचना दे दें। यदि वे यह चाहते हों कि बाबू राजेन्द्रप्रसाद उनकी रिहाइश और भोजन आदिका भी प्रबन्ध करें तो उन्हें इस बातकी इत्तिला काफी पहलेसे कर दें। मैने राजेन्द्र बाबूसे निवेदन किया है कि जो लोग अपने रहने-खानेका प्रबन्ध करवाना चाहते हों उन्हें इसके लिए क्या देना पड़ेगा, इसे वे प्रकाशित करा दें।

सब दलोंको क्यों नहीं निमन्त्रित कर रहा हूँ?

मुझे इस समय जिस बातकी चिन्ता लगी हुई है, वह है कांग्रेसियोंके आपसी मतभेदोंको दूर करके सभी दलों द्वारा मिल-जुलकर कोई काम कर सकनेका यदि कोई उपाय हो तो उसे ढूँढूं और कांग्रेसके आगामी अधिवेशनका काम हलका बना दूँ ताकि अगर कांग्रेसको कुछ नई नीतियों और कार्यक्रमोंपर विचार करना हो और उनका शुभारम्भ करना हो तो वह अन्य झंझटोंसे मुक्त रहकर अपना परा ध्यान इसी ओर लगा सकें। इसपर पूछा जा सकता है कि ऐसी अवस्थामें आप और दलोंके नेताओंको भी पटना क्यों नहीं बुलाते। मैंने इस मामलेपर बहुत गौर किया है, और मैं इस नतीजेपर पहुँचा हूँ कि अभी ऐसे निमन्त्रणसे कोई फल नहीं निकलेगा। जब तमाम कांग्रेसियोंके मनमें यह बात साफ हो जायेगी कि खद वे क्या चाहते है और जब वे परस्पर एकराय हो जायेंगे तब इस विषयमें अगला कदम रहा है?