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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इकट्ठा करें, खादी प्रदर्शनियोंका आयोजन करें, खादीकी फेरी लगायें, हर शोभनीय ढंगसे खादी और चरखके कामको, दूसरे शब्दोंमें असंख्य गरीबोंके हित साधनके कामको, आगे बढ़ायें।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ४-९-१९२५
 

८५. भेंट : 'फॉरवर्ड' के प्रतिनिधिसे[१]

बम्बई
४ सितम्बर, १९२५

आज सुबह महात्मा गांधीने 'फॉरवर्ड' के लिए दी गई एक विशेष भेंटमें बंगाल और स्वराज्यवादी दलकी भूरि-भूरि प्रशंसा की। यह पूछने पर कि क्या देशबन्धुके निधनसे स्वराज्यदल कमजोर पड़ गया है, महात्माजीने उत्तर दिया :

जिस दल अथवा संस्थासे देशबन्धु-जैसे व्यक्तिका सम्बन्ध हो, वह दल अथवा संस्था उनके निधनसे कमजोर तो होगी ही। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि यह दल ही अब नहीं रहेगा। इसके विपरीत अभीतक दलने देशबन्धुके प्रति असाधारण वफादारी दिखाई है और उनकी इच्छाओंका भरसक पालन किया है।

क्या डा॰ सुहरावर्दीके त्यागपत्र देनेका दलपर कुछ प्रतिकूल प्रभाव हुआ है?

खुद मुझे तो ऐसा नहीं लगता।

महात्माजी, क्या आपकी रायमें श्री पटेलका[२] केन्द्रीय विधानसभाका अध्यक्ष निर्वाचित होना और पण्डितजी द्वारा स्कीन समितिको[३] सदस्यता स्वीकार करना स्वराज्यवादी दलके सिद्धान्तोंसे संगत है?

मुझे इन दो में से कोई भी बात स्वराज्यवादी दलके सिद्धान्तोंसे असंगत नहीं दिखाई देती। जिस दलका बल बढ़ रहा हो या जो दल अपना बल बढ़ाना चाहता हो, उसके लिए अपने-आपको परिस्थितिके अनुकूल ढालना आवश्यक है। मेरे विचारमें पण्डितजीका स्कीन समितिकी सदस्यता स्वीकार करना और श्री पटेलका निर्वाचन बहुत सही कदम है।

[अंग्रेजीसे]
फॉरवर्ड, ५–९–१९२५
 
  1. इस भेंट में पूँछे गये कुछ प्रश्न और गांधीजी द्वारा दिए उनके उत्तर ३ सितम्बर १९२५ को बाँम्बे क्रॉनिकल को दी गई भेंट (देखिए 'भेंट : बाँम्बे क्रॉनिकल के प्रतिनिधिसे' ३–९–१९२५) के प्रश्नोत्तरों से मिलते हैं, इसलिए इसे यहाँ नहीं दिया जा रहा है।
  2. बिट्ठल भाई पटेल।
  3. इस समिति के अध्यक्ष सर एन्ड्र्यू स्कीन थे और यह इस बात पर बनाई गई थी कि भारत में सैनिक विद्यालय खोलना वांछनीय है अथवा नहीं। दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित किए गए एक प्रस्तावमें एक ऐसे विद्यालय की स्थापनाकी माँग की गई थी।