पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 28.pdf/२३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०५
भाषण : सार्वजनिक सभामें

इसलिए अन्य असंख्य प्रसंगोंकी तरह यहाँ भी यही कहना पड़ेगा कि शब्दोंके पीछे मत पड़ो, सारको ग्रहण करो।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १७–९–१९२५
 

१०९. भाषण : राँचीकी सार्वजनिक सभामें[१]

१७ सितम्बर, १९२५

मानपत्रका उत्तर देते हुए गांधीजोने कहा कि मेरा यह विश्वास दिनोंदिन दृढ़ होता जा रहा है कि सिर्फ चरखा ही भारतके करोड़ों लोगोंकी भूख मिटा सकता है। बेशक खाली समयमें करने को और भी धन्धे हैं, परन्तु जिसे लाखों लोग अपना सकें, ऐसा उपयुक्त धंधा चरखेपर सूत कातनके अलावा और कोई नहीं है। मैं पूरे देशमें घूमता रहा हूँ, लेकिन अभीतक किसीने कोई ऐसा धन्धा नहीं सुझाया जो चरखेका स्थान ले सके। बिहारके पास एक लाख रुपयको खादी पड़ी है। यदि वह बिक जाये तो प्राप्त धनसे दूनी खादी बन सकेगी। अकेला राँची ही आसानीसे इतनी खादी खरीद सकता है। लोग मिलके कपड़े को स्वदेशी मान लेते हैं, लेकिन दिल्ली और बम्बईके बने बिस्कुट क्या घरकी रोटीका स्थान ले सकते हैं? तब फिर आपको भी बम्बईकी मिलोंमें बने कपड़ेके बजाय बिहारमें बनी खादी क्यों नहीं पहननी चाहिए? यदि आपको अपनी निर्वसना माँ-बहनोंका तन ढकना हो तो आपको खादी ही खरीदनी चाहिए। खादी अपेक्षाकृत महंगी है तो क्या हुआ उसके लिए दी गईहर पाई गाँवोंकी गरीब स्त्रियोंको मिलती है। बम्बईके अन्त्यजोंको रक्षा इसी चरखने की है। अस्पृश्यताको समस्याका उल्लेख करते हुए गांधीजीने कहा कि हिन्दूधर्ममें अस्पृश्यता जैसी कोई चीज नहीं है। इसी अस्पृश्यताने भारतीयोंको सारे संसारमें अस्पृश्य बना दिया है। आपको इन अस्पृश्य भारतीयोंकी दशा देखनी हो तो दक्षिण आफ्रिका जाइए, आपको मालूम होगा कि अस्पृश्यता क्या चीज है। स्वर्गीय गोखले इसे अच्छी तरह जानते थे और अब भारत[२] भी जान गया है। तुलसीदासने तो आपको दया-धर्मकी शिक्षा दी है, लेकिन आज आप उसके विपरीत आचरण कर रहे हैं। आपको अस्पृश्यताकी यह समस्या दूर करनी ही है अन्यथा स्वराज्य कभी नहीं मिल सकता।[३]

[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, २०–९–१९२५
 
  1. यह सभा सेंट पॉल स्कूलके मैदानमें शामके ३ बजे हुई थी। सभामें राँचीकी जनताकी ओरसे गांधीजीको एक मानपत्र तथा देशबन्धु स्मारक कोशके लिए १,००१ रुपयेकी थैली भेंट की गई थी।
  2. आज २०–९–१९२५ में यहाँ सरोजिनी नायडू लिखा है।
  3. इसका मिलान २०–९–१९२५ के आजमें प्रकाशित विवरणसे भी कर लिया गया है।