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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यदि राष्ट्रीय पाठशाला यह सब न कर सके तो निश्चय ही वह किसी सहायताके योग्य नहीं है और आपको उसकी सहायता फौरन बन्द कर देनी चाहिए।

अन्तमें उन्होंने देशबन्धु स्मारक कोषके लिए चन्दा देने की अपील की और वहींसे महिलाओंको सभामें चले गये, जहाँ काफी रकम चन्देमें मिली।

[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, २७–९–१९२५
 

१३०. वक्तव्य : समाचारपत्रोंको

मेरे लिए यह बहुत दुःख और निराशाकी बात है कि जैसा पहले तय हुआ था उसके अनुसार मैं अपना बिहारका दौरा पूरा नहीं कर सका हूँ। मैं देखता हूँ पिछले बारह महीनोंके निरन्तर भ्रमणसे मेरे शरीरपर बहुत जोर पड़ा है। अब जरूरी है कि मैं बाकीका दौरा आरामसे पूरा करूँ। स्वागत समितिने कृपापूर्वक मेरी बात मान ली है। मुझे आशा है कि समितिके सदस्य और जिन भागोंमें मैं नहीं जा सका वहाँके लोग मुझे क्षमा करेंगे। मैं बाकीका दौरा आगामी वर्षके आरम्भमें ही समाप्त करनेका प्रयत्न करूँगा।

अंग्रेजीसे
सर्चलाइट, २५–९–१९२५
 

१३१. भाषण : विक्रमकी सार्वजनिक सभामें[१]

२५ सितम्बर, १९२५

महात्माजीने सबसे पहले इस बातके लिए खेद व्यक्त किया कि पिछले दिन आनेकी बात तय हुई थी किन्तु वे नहीं आ सके। फिर उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानता कि मुझे आपसे क्या कहना चाहिए। जो बात आपसे कहना चाहता हूँ वह तो आप पहले ही सुन चुके हैं। इतने सारे लोगोंका यहाँ आना इस बातका पर्याप्त प्रमाण है। मेरा यह विश्वास दिनों-दिन दृढ़ होता जा रहा है कि भारतके करोड़ों ग्रामवासियोंकी भूखकी ज्वाला सिर्फ चरखे द्वारा ही शान्त की जा सकती है। आप जानते हैं कि सालमें चार महीने उनके पास कुछ काम नहीं रहता। इस खाली वक्तका सबसे अच्छा उपयोग सिर्फ चरखा चलाकर ही किया जा सकता है। गरीबसे-गरीब व्यक्तिको भी सालभरमें पांच या दस रुपयेका कपड़ा खरीदना पड़ता है। इन छोटी

 
  1. गांधीजीके साथ राजेन्द्रप्रसाद, जमुनालाल बजाज, सतीश चन्द्र दासगुप्त और जगतनरायण लाल भी इस सभामें गये थे।