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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आप समझते हैं कि उनका एकमात्र समाधान तलवार ही है, तो ठीक है। आप उसीको आजमा कर देख लीजिए, बजाय इसके कि आप मेरे जैसे असहाय और अहिंसक व्यक्तिसे सहायता माँगें। यूरोपसे लौटनेपर डा॰ अन्सारी यूरोपके अपने अनुभवोंका हाल सुनाने भागे-भागे मेरे पास आये। उनको यूरोपमें सभी तरहके लोगोंसे मिलनेका मौका मिला, विशेषकर तुर्कोंसे। सबने यही कहा कि यह हिन्दुओं और मुसलमानोंका पागलपन ही है कि वे बड़े लक्ष्योंकी बलि देकर छोटी-छोटी बातोंपर झगड़ने में अपनी शक्ति गँवा रहे हैं। इसलिए श्रोताओंसे मेरा निवेदन है कि सब अपने मतभेद दूर करके यथासम्भव जल्दी ही एकता प्राप्त करें। लेकिन वह एकता असली एकता होनी चाहिए, नकली नहीं।

महात्माजीने कहा अगर मैं लखनऊके फैशनपरस्त नागरिकोंसे खद्दरके लिए अपील करूँ तो यह आशंका तो है ही कि आप उसे अनसुनी कर दें। लेकिन मैं अपने इस भयके बावजूद भारतके गरीबोंकी ओरसे यह अपील करता हूँ। उन्होंने श्रोताओंसे खद्दर पहननेका निवेदन किया और उसके कुछ लाभ समझाये। उन्होंने कहा :

खद्दरका मतलब है, प्रत्येक सात आने में से पांच आने गरीबोंको मिलना। और मिलके कपड़ेका मतलब है, हर पाँच आने में से एक पैसा गरीबोंको मिलना। लेकिन विदेशी कपड़ेसे इंग्लैंडके गरीबोंको भी फायदा नहीं होता। उसका सारा लाभ पूंजीपतियोंको मिलता है।

उसके बाद उन्होंने कहा कि भारतके ऊँचे सामाजिक दर्जें के लोगोंको चरखेका उपयोग करना चाहिए, ताकि गरीबोंको इस बातको प्रतीति हो जाये कि चरखेमें हमारा सच्चा विश्वास है और हम जो कहते हैं उसके लिए ईमानदारीसे प्रयत्न भी करते हैं।

इसके बाद उन्होंने अस्पृश्यताकी प्रथाकी निन्दा की। उन्होंने कहा कि यह हिन्दू धर्मका हिस्सा नहीं है। यह अधार्मिक और ईश्वरके विरुद्ध है। हमें भारतके कुत्सित कलंकको दूर कर डालना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दुस्तान टाइम्स, २०–१०–१९२५