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भाषण : अंजारमें

को पूरा करने में कोई कसर नहीं उठा रखी; इसके लिए उन्होंने बहुत परिश्रम किया है। लेकिन आपको समझना चाहिए कि मैं स्वयं अपनी सेवा करवाने के लिए कच्छमें नहीं आया था। मैं हिन्दुस्तानमें भ्रमण करता हूँ सो अपनी सेवा करवानेके लिए नहीं करता। उलटे, मेरी सेवा जितनी ज्यादा की जाती है, जितना ज्यादा सुख और सुविधा मुझे प्रदान की जाती है, वस्तुतः देखा जाये तो, मुझपर उतना ज्यादा बोझ पड़ता है, ज्यादा कर्ज चढ़ता है। अतएव मुझपर उपकार करनेका उपाय है, अपनी जितनी आवश्यकताएँ मैं बताऊँ आप मेरी उतनी ही आवश्यकताएँ पूरी करें। यदि मुझे जितने चाहिए उससे अधिक स्वयंसेवक अथवा गाड़ियाँ मिले तो मैं घबरा जाता हूँ। मेरी निजी सेवा करनेमें कच्छने कोई कसर नहीं उठा रखी। इस बातमें कच्छ अन्य प्रान्तोंसे तनिक भी कम नहीं उतरता।