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परिशिष्ट

रात आनेपर वह साफ रूमाल सिरपर बाँधकर अपने बालोंको सँवारकर चरखा चलाती रहेगी और उसे उसके काममें सहायता भी मिलेगी क्योंकि उसका प्रियतम सनकी कुटाईका काम समाप्त करके सूर्यास्तके बाद घर वापस लौट आयेगा। वह तबतक कताई करती रहेगी जबतक कि घड़ीका चक्का एक विशिष्ट और भाग्यसूचक क्षणका संकेत न दे दे, जबतक वह किसी गुच्छीमें एक खास संख्यामें धागोंकी गिनती न कर ले, जो अक्सर चालीस होती थी। तब कताई करनेवाली उस कामको रोक कर धागोंमें गाँठ बाँध देती थी और उसका साथी दूसरी तरहको गाँठ बाँधनेके लिए उन दुर्लभ क्षणोंमें जो-कुछ भी कर सकता था, करता था, क्योंकि एक प्राचीन और विलक्षण गाथा-काव्यके अनुसार 'जब घड़ीके चक्केने ध्वनिकी, तो उसने प्रियतमा पालीको चूम लिया।'

जब आरम्भिक दिनोंमें कोई अमेरिकी स्त्री अपना दिन प्रसन्नतापूर्ण साहचर्यमें बिताना चाहती थी तो वह सूर्योदयके साथ उठती थी, घरका कामकाज पूरा करती थी और फिर घोड़ेपर सवार होकर, जिसके पीछे सनका चरखा बँधा होता था, अपने बच्चेको एक हाथसे संभाले पड़ोसीके घरतक जाती थी और कभी-कभी तो अपने घरसे काफी दूरके स्थानोंम भी जाया करती थी।

कताई प्रतियोगिताएँ

सन् १७५४ में कताई प्रदनियाँ की गईं और ऐसे अवसरोंपर जब कुमारियाँ अपने-अपने चरखे लेकर एकत्रित होती थीं तो पादरी उन्हें उपदेश देते थे। इनमें से एक प्रवचनका वर्णन प्राचीन विषयोंके एक अध्येताने विलक्षण शब्दावली में किया है : बस्तीको बहुत-सी सम्भ्रान्त महिलाएँ सूर्योदयके समय एक दिन अपना चरखा लेकर रेवरेंड जेडोदिया जैवलके घर कताई प्रतियोगिताके एक स्तुत्य आयोजनमें शरीक होनेके लिए एकत्र हुई।

सूर्यास्तसे एक घंटा पहले महिलाएँ घरमें कते कपड़ोंकी साफ-सुथरी पोशाक पहने आ जुटीं और अमेरिकी पदार्थोंसे तैयार किया गया सुन्दर और प्रचुर नाश्ता उनके लिए सजा दिया गया। इसके बाद महिलाओं और पुरुषोंकी उपस्थितिमें श्री जैवलने 'रोमन्स', १२-२ से एक बोधप्रद प्रवचन दिया : "कामकाजमें आलस्य-त्याग, मनमें उत्साह, प्रभुको सेवामें तत्पर।"

न्यू इंग्लैंडमें गिरजाघर और देशभक्तिके विषय एक दूसरेसे कभी दूर नहीं होते थे और इसीलिए जब कताई करनेवाली महिलाएँ न्यू लन्दन, न्यूबरी, इप्सविच या बेवरलीमें एकत्र होती थीं, तो उनके सम्मुख प्रसंगोचित पाठोंका प्रवचन हुआ करता था। एक प्रिय अंश था "विवेकशील सभी महिलाओंने हाथसे कताईको" 'एक्सोडस',३५–२५।

"सचमुच यह एक बड़ा ही मनोरम दृश्य होता था। कुछ कताई कर रही हैं, कुछ धागे लपेट रही है, कुछ कपासकी धुनाई कर रही हैं और कुछ सनके रेशे सुलझा रही है और साथ-साथ प्रवचन चल रहा है—"इन शब्दोंमें एक तत्कालीन लेखकने विवरण प्रस्तुत किया है।

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