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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करनेसे पहले ही समझ लेना आवश्यक है। इसलिए अगले प्रकरणमें हम इसी भेदका विवेचन करेंगे।

अध्याय १३

सत्याग्रह बनाम अनाक्रामक प्रतिरोध

आन्दोलन ज्यों-ज्यों आगे बढ़ता गया त्यों-त्यों उसमें अंग्रेज भी ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे। मुझे इतना कह देना चाहिए कि यद्यपि ट्रान्सवालमें अंग्रेजीके अखबारोंमें प्रायः खूनी कानूनके पक्षमें ही लेख लिखे जाते थे और गोरोंके भारतीय विरोधका समर्थन किया जाता था फिर भी यदि कोई प्रसिद्ध हिन्दुस्तानी इन अखबारोंमें कोई लेख भेजता तो वे उसे प्रसन्नतापूर्वक प्रकाशित कर देते थे । हिन्दुस्तानियोंकी ओरसे सरकारको जो प्रार्थनापत्र भेजे जाते थे उनको भी वे या तो पूरा प्रकाशित कर देते थे या उनका सार दे देते थे। जो बड़ी-बड़ी सभाएँ की जाती थीं उनमें भी प्राय: ये पत्र अपने संवाददाताओंको भेजते थे और यदि ऐसा नहीं कर पाते थे तो हमारी भेजी हुई खबरोंको संक्षेपमें छाप देते थे।

उनका इस प्रकारका सौजन्य हिन्दुस्तानी समाजके लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ और आन्दोलन बढ़नेके साथ-साथ कुछ गोरे भी उसमें दिलचस्पी लेने लगे। ऐसे प्रमुख गोरोंमें जोहानिसबर्गके एक लखपति श्री हॉस्केन भी थे। उनमें रंग-द्वेषकी भावना तो पहलेसे ही नहीं थी; किन्तु आन्दोलन आरम्भ होनेपर उन्होंने हिन्दुस्तानियोंके प्रश्नमें अधिक दिलचस्पी ली। जर्मिस्टन कस्बेमें जिसे जोहानिसबर्गका उपनगर कह सकते हैं, गोरोंने मेरे विचार सुननेकी इच्छा प्रकट की। अतः एक सभा बुलाई गई। उसकी अध्यक्षता श्री हॉस्केनने की और मैंने उसमें भाषण दिया। इस सभामें श्री हॉस्केन- ने आन्दोलनका और मेरा परिचय देते हुए कहा, "ट्रान्सवालके हिन्दुस्तानियोंने न्याय प्राप्तिके अन्य उपाय निष्फल होनेपर 'पैसिव रेजिस्टेन्स' (अनाक्रामक प्रतिरोध) का मार्ग अपनाया है। उनको मत देनेका अधिकार प्राप्त नहीं है। उनका संख्या-बल कम है। वे कमजोर हैं और उनके पास हथियार नहीं है। इसलिए उन्होंने कमजोरोंका हथियार (अनाक्रामक प्रतिरोध) काममें लिया है । " यह बात सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ और में अपने भाषणमें जो कुछ कहनेवाला था उसे न कहकर मैंने श्री हॉस्केनके कथनका विरोध करते हुए अपने अनाक्रामक प्रतिरोधको कमजोरी न मानकर आत्मबल कहा 1² इस सभामें यह बात मेरे सामने स्पष्ट हो गई कि अनाक्रामक प्रतिरोध शब्दोंके प्रयोग- से भयंकर भ्रम फैलनेकी सम्भावना है। मैं सभामें दिये हुए अपने तर्कों और अन्य आवश्यक विशेष तर्कोंको मिलाकर इन दोनों शब्द समुदायोंके अर्थसे अपना विरोध समझानेका प्रयत्न करूंगा ।

“पैसिव रेजिस्टेन्स " शब्दोंका प्रयोग अंग्रेजी भाषामें सबसे पहले कब किया गया अथवा किसने किया इसका ध्यान तो मुझे नहीं है; किन्तु इस पद्धतिका

१. भाषगका पाठ उपलब्ध नहीं है; देखिए खण्ड ९, १४ २४२-४४।

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