पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/११८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हम दोनों इंग्लैंड पहुँचते ही तुरन्त काममें लग गये । हमने मन्त्रीको दिया जानेवाला प्रार्थनापत्र' जहाजमें ही लिख लिया था। हमने उसे इंग्लैंडमें छपवा डाला । उस समय लॉर्ड एलगिन उपनिवेश-मन्त्री थे और लॉर्ड मॉर्ले भारत-मन्त्री । हम वहाँ भारतके पितामह दादाभाई नौरोजीसे भी मिले। हमने उनकी मारफत भारतीय कांग्रे- सकी ब्रिटिश समितिसे सम्पर्क किया, उसके सम्मुख अपना मामला रखा और उसको बताया कि हम सभी दलोंको साथ रखते हुए काम करना चाहते हैं। दादाभाईकी सलाह तो यह थी ही; समितिको भी यही उचित लगा। हम इसी तरह सर मंचरजी भावनगरीसे मिले। उन्होंने हमें बहुत सहायता दी। उनकी और दादाभाई दोनोंकी सलाह यह थी कि लॉर्ड एलगिनके पास जो शिष्टमण्डल जाये उसमें कोई तटस्थ और भारतमें रहे हुए प्रख्यात अंग्रेज सज्जन नेतृत्व करनेके लिए मिल जायें तो अच्छा होगा। सर मंचरजीने कुछ नाम भी सुझाये थे। उनमें एक नाम सर लेपेल ग्रिफिनका था। पाठकोंको यह बता देना चाहिए कि उस समय सर विलियम विल्सन हंटर गुजर चुके थे। यदि वे जीवित होते तो दक्षिण आफ्रिकाके हिन्दुस्तानियोंकी स्थितिसे उनका परिचय इतना गाढ़ा था कि वे ही नेता बनकर जा सकते थे अथवा वे स्वयं किसी लॉर्ड वर्गके महान् नेताको खोज ले सकते थे।

हम सर लेपेल ग्रिफिनसे मिले। वे राजनैतिक दृष्टिसे हिन्दुस्तानकी तत्कालीन सार्वजनिक प्रवृत्तियोंके विरोधी थे। किन्तु उन्होंने इस प्रश्नमें बहुत दिलचस्पी बताई और सौजन्यकी दृष्टिसे नहीं, बल्कि न्यायकी दृष्टिसे हमारे शिष्टमण्डलका नेतृत्व करना स्वीकार कर लिया। उन्होंने सब सम्बन्धित कागज पढ़े और इस प्रश्नकी पूरी जान- कारी प्राप्त कर ली। हम भारतमें रहे हुए दूसरे अंग्रेज सज्जनोंसे, ब्रिटिश कॉमन सभाके बहुतसे सदस्योंसे और इस प्रश्नसे सहानुभति रखनेवाले जितने भी लोग मिल सके उन सबसे मिले। हमारा शिष्टमण्डल लॉर्ड एलगिनसे मिला ।' उन्होंने हमारी पूरी बात ध्यान से सुनी और हमसे सहानुभूति दिखाई। उन्होंने अपनी कठिनाइयाँ भी बताई; किन्तु फिर भी यथासम्भव सहायता करनेका वचन दिया। यही शिष्टमण्डल लॉर्ड मॉर्लेसे भी मिला। उन्होंने भी सहानुभूति प्रकट की। मैं उनके कथनका सार पहले दे चुका हूँ।" सर विलियम वेडरबर्नके प्रयत्नसे हिन्दुस्तानी कार्योंसे सम्बन्धित कॉमन सभाकी एक बैठक सभाके दीवानखाने बुलाई गई। हमने इस बैठकमें भी अपना मामला यथाशक्ति समझाया।" हम उस समयके आयरिश दलके नेता श्री रेडमंडसे विशेष रूपसे भेंट करने गये। संक्षेपमें हमने लोकसभा के उन सभी दलोंके सदस्योंसे जिनसे मिलना सम्भव हुआ, मुलाकात की। हमें कांग्रेसकी ब्रिटिश समितिसे भी बहुत सहायता मिली। किन्तु उसमें तो इंग्लैंडकी प्रथाके अनुसार एक विशेष दल

१. शिष्टमण्डल २० अक्तूबर १९०६ को इंग्लैंड पहुँचा । उसके कार्य-विवरण के लिए देखिए खण्ड ६, पृष्ठ १-२७६ ।

२.. देखिए खण्ड.६, पृष्ठ ४९-५७ ।

३. देखिए खण्ड ६, पृष्ठ- ११७-११९ ।

४. . देखिए खण्ड. ६, पृष्ठ. २१९-२३१ ।

५. देखिए. खण्ड. ६, १४.१११-१२।

Gandhi Heritage Portal