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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तबतक उनके क़ोधका विपरीत परिणाम नहीं हो सका, और उनके अमूल्य गुण रत्नोंकी भाँति चमकते रहे। किन्तु बादमें मुझे मालूम हुआ कि उनका अति-साहस और क्रोध उनके प्रबल शत्रु सिद्ध हुए और उन्होंने उनके गुणोंको ढक लिया। कुछ भी हो, दक्षिण आफ्रिकाकी सत्याग्रहकी लड़ाईके इतिहासमें थम्बी नायडूका नाम सदा प्रथम श्रेणी में ही रहेगा।

हम सबको अदालतमें साथ ही हाजिर होना था पर सबपर मुकदमे अलग- अलग ही चलाये गये थे। मजिस्ट्रेटने कुछ लोगोंको ४८ घंटमें और कुछको ७ या १४ दिनमें ट्रान्सवालसे चले जानेकी आज्ञा दी थी ।

इस आज्ञाकी अवधि १० जनवरी १९०८ को पूरी होती थी और हमें उसी दिन सजा सुननेके लिए अदालतमें हाजिर होनेकी आज्ञा दी गई थी ।

हममें से किसीको अपना बचाव तो करना था ही नहीं। हमें तो अपना यह अपराध स्वीकार करना था कि मजिस्ट्रेटको इस बातका विश्वास न दिला सकनेपर कि हमें कानूनके मुताबिक जो परवाना लेना था, सो हमन लिया है और इसलिए अदालतने हमें एक निर्दिष्ट अवधिके भीतर ट्रान्सवाल छोड़कर चले जानेकी जो आज्ञा दी, उसका हमने उल्लंघन किया है।

मैंने अदालतसे एक छोटा-सा वक्तव्य देनेकी अनुमति माँगी और उसने मुझे अनुमति दे दी। मैंने इस आशयका वक्तव्य दिया:

'मेरे मुकदमे में और मेरे बादमें जो मुकदमे किये जाने हैं उनमें अन्तर किया जाना चाहिए। मुझे अभी प्रिटोरियासे खबर मिली है कि वहाँ मेरे देश-बन्धुओंको तीन-तीन महीनेकी कड़ी कैदीकी और भारी जुर्मानेकी सजाएँ दी गई हैं। उन्हें जुर्माने न देनेपर तीन-तीन महीनेकी कड़ी कैद और भुगतनी होगी। यदि उन लोगोंने अप- राध किया है तो मैंने उनसे बड़ा अपराध किया है। इसलिए मैं मजिस्ट्रेटसे प्रार्थना करता हूँ कि वे मुझे बड़ी से बड़ी सजा दें ।' किन्तु मस्जिस्ट्रेटने मेरे इस वक्तव्यपर कोई ध्यान नहीं दिया और मुझे दो महीनेकी सादी कैदीकी सजा दी। उस समय मुझे यह विचार विचित्र अवश्य लगा कि मैं जिस अदालतमें सैकड़ों बार वकीलकी हैसियतसे खड़ा हुआ था और वकील-समुदायके साथ बैठा था, उसीमें मैं आज अप- राधियोंके कठघरे में खड़ा हूँ। किन्तु इतना तो मुझे ठीक-ठीक याद है कि मैं वकील मण्डलकी बैठकमें बैठनमें जो सम्मान मानता था, अपराधियोंके कठघरेमें खड़ा होनेमें मैंने उससे अधिक सम्मान माना। उसमें खड़े होते वक्त मुझे लेशमात्र भी क्षोभ होनेका

१. इसके बादका एक वाक्थ और एक अनुच्छेद अंग्रेजीसे अनूदित है।

२. देखिए खण्ड ८, पृष्ठ ३६-७ ।

३. इसके बादका अंश अंग्रेजीसे अनूदित हैं। मूल गुजराती पाठमें यहाँ ये पंक्तियाँ है। "मैंने अदालतके सामने कोई इकरार भी पेश नहीं किया था। मैंने विचारपूर्वक और धर्म समझकर खूनी कानूनका विरोध किया है, और इसके लिए जो सजा मिली है उसे सहन करनेमें मैं अपना गौरव मानता हूँ। मैंने इस आशयका वक्तव्य दिया था। मुझे दो मासको सादा कैदकी सजा मिली। "

४. देखिए खण्ड ८, पृष्ठ ३६-७।

५. यहां तकका अंश अंग्रेजीसे अनूदित है।

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