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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दमा तय होने के बाद लोगोंने काले झंडे हाथमें लेकर एक जुलूस निकाला था। कुछ लोग उत्तेजित भी हुए थे। पुलिसने हस्तक्षेप किया। दो चार लोगोंको मार भी पड़ी । मैं उनकी बातचीतसे बस इतना ही जान सका। हम सभी लोग एक ही जेलमें और एक ही कोठरीमें रखे गये थे, इससे हमें बहुत प्रसन्नता हुई।

छः बजेके करीब हमारी कोठरीका दरवाजा बन्द कर दिया गया। जेलकी कोठरियोंके दरवाजोंमें सींखचे नहीं थे। हवा आनेके लिए दीवारमें बहुत ऊँचाईपर एक छोटा-सा झरोखा था। इससे हमें तो ऐसा लगा मानो हम तिजोरीमें बन्द कर दियें गये हों। पाठक देखेंगे कि जेल अधिकारियोंने रामसुन्दरका जैसा आदर-सत्कार किया था वैसा हमारा नहीं किया। इसमें आश्चर्यकी कोई बात नहीं । रामसुन्दर पहला सत्याग्रही कैदी था, इसलिए अधिकारी ठीक तरहसे यह नहीं सोच पाये थे कि उसके साथ कैसा व्यवहार किया जाये। हम लोगोंकी संख्या तो पहलेसे ही काफी थी और सरकारका इरादा दूसरे लोगोंको गिरफ्तार करनेका भी था । इसलिए हम हब्शियोंके वार्डमें रखे गये । दक्षिण आफ्रिकाकी जेलोंमें दो ही विभाग होते हैं। -- एक गोरोंका और दूसरा कालोंका । हिन्दुस्तानी कैदियोंकी गिनती भी हब्शियोंके ही वर्गमें की जाती है।

सुबह होनेपर हमें मालूम हुआ कि सादी कैद पाये हुए कैदियोंको अपने कपड़े पहननेका हक होता है। यदि वे अपने कपड़े न पहनना चाहें तो उन्हें सादी कैदके कैदियोंके लिए निश्चित अलग कपड़े दिये जाते हैं। हमने निश्चय किया था कि घरके कपड़े पहनना तो अनुचित ही है, जलके कपड़े पहनना ठीक होगा। हमने इसकी सूचना अधिकारियोंको दे दी। इसलिए हमें सादी कैदवाले हब्शी कैदियोंके कपड़े दिये गये । किन्तु दक्षिण आफ्रिकाकी जेलोंमें अवश्य ही सादी कैद पाये हुए कैदी बहुत नहीं होते। इसलिए जब सादी कैद पाये हिन्दुस्तानी कैदी ज्यादा आये तब जेलमें उक्तं प्रकारके कैदियोंके कपड़े खत्म हो गये। हमें तो इस सम्बन्धमें कोई झगड़ा करना था ही नहीं, इसलिए हमने कड़ी कैदवाले कैदियोंके कपड़े पहननेमें आनाकानी नहीं की। पीछे आनेवाले कुछ हिन्दुस्तानी कैदियोंने इन कपड़ोंके बजाय अपने कपड़े ही पहनना पसन्द किया। यह बात मुझे ठीक नहीं लगी, किन्तु मुझे इस सम्बन्धमें आग्रह करना उचित नहीं जान पड़ा।

दूसरे या तीसरे दिनसे ही जेलमें सत्याग्रही कैदी भरने लगे। वे तो जानबूझ- कर गिरफ्तार होते थे। इनमें प्रायः सब फेरीदार थे । दक्षिण आफ्रिकामें गोरे और काले सभी फेरीदारोंको फेरीके परवाने लेने पड़ते हैं। उन्हें इन परवानोंको सदा साथ रखना और माँगनेपर पुलिसको दिखाना आवश्यक होता है । प्रायः कोई न कोई पुलिस सिपाही रोज ही परवाना देखता और जो नहीं दिखाते उनको गिरफ्तार कर लेता। मेरी गिरफ्तारीके बाद कौमन जेलें भर देनेका निश्चय किया था। इसमें फेरीदार सबसे आगे थे। उनका गिरफ्तार होना आसान भी था। वे फेरीका परवाना न दिखाते और गिरफ्तार हो जाते । इस प्रकार एक सप्ताह में गिरफ्तार किये हुए

१. मूल गुजराती में यहाँ यह वाक्य है: मेरे साथियोंको भी मेरी तरह सादी कैदकी सजा हुई थी।

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