पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/१४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२३
दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास

कर भी हार जायेंगे। कल्पना करें कि सरकारने खूनी कानून रद कर दिया और हमने ऐच्छिक परवाना ले लिया। यदि सरकारने उसके बाद इसी खूनी कानूनको फिर पास करके बाधित परवाने देना शुरू किया तो उस समय सरकारको रोकनेवाला कौन होगा ? यदि हमें इस समय अपने बलके सम्बन्धमें शंका हो तो उस समय भी हमारी ऐसी ही दुर्दशा होगी। अतः इस समझौतेको चाहे जिस दृष्टिसे जाँचें, हम यही कह सकते हैं कि इस प्रकारका समझौता करनेमें कौमकी कोई हानि नहीं होगी, बल्कि लाभ ही होगा। मैं तो यह भी मानता हूँ कि हमारे विरोधी भी हमारी नम्रता और न्यायपरताको देखकर हमारा विरोध करना छोड़ देंगे या कम कर देंगे ।

इस प्रकार इस छोटी-सी मण्डलीमें जिन एक-दो लोगोंने विरोध प्रकट किया था उनके मनका समाधान तो मैंने पूरी तरह कर दिया; किन्तु जो आँधी मध्यरात्रिकी बड़ी सभामें उठनेवाली थी उसकी कल्पना तो मैंने सपनेमें भी नहीं की थी। मैंने सभामें पूरे समझौतेको स्पष्ट किया और कहा :

इस समझौतेसे कौमकी जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई है। हम दगा-फरेबसे अथवा बेजा तरीकेसे एक भी हिन्दुस्तानीको ट्रान्सवालमें लाना नहीं चाहते, यह बतानेके लिए हमें ऐच्छिक परवाने लेने हैं। यदि कोई परवाना न लेगा तो फिलहाल उसे भी सजा नहीं दी जायेगी, किन्तु परवाना न लेनेका अर्थ यह किया जायेगा कि कौम इस समझौतेको नहीं मानती। आपके लिए समझौतेका समर्थन हाथ उठाकर करना आवश्यक है। यह मेरी माँग भी है। किन्तु इसका अर्थ यही है और मैं यही करूंगा कि जो लोग हाथ उठायें वे नये परवाने देने की व्यवस्था होते ही परवाने लेने लग जायें और जैसे अबतक आपमें से बहुत से लोग लोगोंको परवाना न लेनेकी बात समझाने के लिए जैसे स्वयंसेवक बने थे, वैसे ही वे अब परवाना लेनेकी बात समझानेके लिए स्वयंसेवक बनें। हम जब अपना काम पूरा कर लेंगे तभी इस जीतका ठीक-ठीक फल देख सकेंगे । "

मैं जब बोल रहा था तभी एक पठान भाईने खड़े होकर मुझपर प्रश्नोंकी झड़ी लगा दी।

इस समझौतेके मुताबिक हमें दसों अँगुलियों के निशान देने पड़ेंगे या नहीं ?

'हाँ और नहीं। मेरी सलाह तो यही होगी कि सब लोग दसों अँगुलियोंके निशान दें। किन्तु जिन्हें कोई धार्मिक आपत्ति हो अथवा जो अँगुलियोंके निशान देनेमें अपने सम्मानकी हानि मानते हों वे यदि निशान नहीं देंगे तो भी काम चल जायेगा । "

"आप स्वयं क्या करेंगे ? "

“मैंने तो दसों अँगुलियोंके निशान देनेका ही निश्चय किया है। मैं निशान न दूं और दूसरोंको वैसा करनेकी सलाह दूं, यह मुझसे नहीं हो सकता।"

'आप दसों अँगुलियोंके निशानोंके सम्बन्धमें बहुत लिखते थे। ये निशान तो अपराधियोंसे ही लिये जाते हैं, आप ही हमें ऐसा बताते थे। यह भी आप ही ने कहा था कि यह लड़ाई दसों अँगुलियोंके निशानकी लड़ाई है । आज ये सब बातें कहाँ गईं ? "

Gandhi Heritage Portal