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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सभाओं तथा संस्थाओंमें भी हुई। कुछ ने हिन्दुस्तानियोंके साहसकी प्रशंसा की और कुछ बहुत क्रुद्ध हुए । उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दुस्तानियोंको उनकी इस उद्धतताका दण्ड मिलना ही चाहिए। दोनों ही पक्षोंने अपने व्यवहारसे स्वीकार किया कि हमारे इस कदममें नवीनता है। जब सत्याग्रह शुरू किया गया था तब सच देखें तो वह एक बिलकुल नया ही कदम था। फिर भी उससे जो खलबली मची थी उसकी अपेक्षा इस पत्र से अधिक खलबली मची। इसका एक कारण तो स्पष्ट ही है। जब सत्या- ग्रह शुरू हुआ था तब किसीको कोमकी शक्तिका अन्दाजा नहीं था । अतः उस समय हमें न ऐसा पत्र शोभा देता और न ऐसी भाषा । अब कौमकी थोड़ी-बहुत परीक्षा हो चुकी थी और सभीने यह देख लिया था कि कोममें सामाजिक संकटका सामना करते हुए जो भी कष्ट आयें उनको सहनेकी शक्ति है; इसलिए निश्चयपत्रकी भाषा स्वाभाविक रूपसे ऐसी बन गई और वह अशोभनीय भी नहीं लगी ।

अध्याय २७

ऐच्छिक परवानोंकी होली

'अल्टीमेटम' अथवा निश्चयपत्रकी अवधिको समाप्ति दूसरा एशियाई कानून पारित किये जानेके दिन ही रखी गई थी । परवानोंको जलानेकी क्रिया करनेके लिए बुलाई गई सभा इस अवधिकी समाप्ति के एक दो घंटे बाद की गई थी। सत्याग्रह समितिने यह सोचा था कि यदि आशाके प्रतिकूल सरकार अनुकूल उत्तर दे दे तो भी वह सभा व्यर्थ न होगी; उस अवस्थामें उसी सभामें सरकारके अनुकूल निश्चय- के बारेमें बताया जा सकता है ।

समितिका खयाल तो यह था कि सरकार इस निश्चयपत्रका कोई उत्तर ही नहीं देगी। हम सभी लोग बहुत पहले ही सभा स्थलमें पहुँच गये थे । हमने यह व्यवस्था भी कर ली थी कि यदि सरकारका उत्तर तारसे मिले तो वह सभामें तुरन्त पहुँचाया जा सके। सभाका समय सायंकाल ४ बजेका रखा गया था । यह सभा १६ अगस्त १९०८ के दिन सदाकी भाँति जोहानिसबर्ग में हमीदिया मस्जिदके मैदानमें रखी गई थी । मैदान हिन्दुस्तानियोंसे बिलकुल भरा हुआ था । दक्षिण आफ्रिकामें हब्शी लोग अपना भोजन पकानेके लिए छोटी-बड़ी लोहेकी बनी चार पायोंकी कड़ाहियाँ काम में लाते हैं । परवाने जलानेके लिए बड़ीसे-बड़ी एक ऐसी ही कड़ाई एक हिन्दुस्तानी व्यापारीकी दूकानसे मँगा ली गई थी और मंचके एक कोने में रख दी गई थी।

सभा आरम्भ करनेका समय हुआ ही था इतनेमें ही एक स्वयंसेवक साइकिल- पर चढ़कर आ गया। उसके हाथमें एक तार था । इस तारमें सरकारका उत्तर आया था। उत्तरमें कौमके निश्चयपर खेद प्रकट किया गया था और यह भी कहा गया था कि सरकार अपना निश्चय नहीं बदल सकती। यह तार सभामें पढ़कर सुनाया गया । सभाने उसका स्वागत किया। सरकार निश्चय-पत्रमें की गई माँग स्वी-

१. यह तिथि तथा आगे दी गई तिथियाँ अंग्रेजी अनुवादसे ली गई हैं।

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