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दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास
अध्याय २८
कौमपर नये मुद्देका आरोप

विधान सभाकी जिस बैठकमें यह दूसरा एशियाई कानून पास किया गया था उसी बैठकमें जनरल स्मट्सने एक दूसरा विधेयक भी प्रस्तुत किया। इसका नाम था ट्रान्सवाल प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयक (१९०७ का अधिनियम १५)। यह कानून सभी लोगोंपर लागू होता था, किन्तु उसका मुख्य उद्देश्य नये आनेवाले हिन्दुस्ता- नियोंको आनेसे रोकना था। इस कानूनको बनानेमें नेटालमें प्रचलित एक ऐसे ही कानूनका अनुकरण किया गया था। किन्तु इसमें एक धारा ऐसी थी जिसमें कहा गया था कि निषिद्ध प्रवासियोंकी व्याख्यामें, जिन लोगोंपर एशियाई कानून लागू होता है, उनका समावेश भी होगा अर्थात् इस कानूनमें ऐसी युक्ति की गई थी कि जिससे वहाँ कोई भी नया हिन्दुस्तानी प्रवासी न आ सके ।

इस कानूनका विरोध करना तो कौमके लिए आवश्यक ही था; किन्तु कौम- के सम्मुख यह समस्या खड़ी हुई कि उसे सत्याग्रहमें सम्मिलित किया जाये या नहीं। सत्याग्रह कब और किस विषयको लेकर किया जाये, इस सम्बन्धमें कीमने कोई बन्धन नहीं रखा था। यह प्रश्न केवल कौमके विवेक ओर बलसे ही मर्यादित था । यदि कोई बात-बातमें सत्याग्रह करे तो वह दुराग्रह होगा। इसी तरह कोई अपनी शक्तिका माप किये बिना इस शस्त्रका प्रयोग करे और बादमें हार जाये तो इस तरहके अविवेकसे वह स्वयं तो कलंकित होगा ही, इस शस्त्रको भी दूषित करेगा ।

समितिने देखा कि हिन्दुस्तानी कौमका सत्याग्रह केवल खूनी कानूनके विरुद्ध है। यदि खूनी कानून रद्द हो जाये तो इस प्रवासी प्रतिबन्धक कानूनका ऊपर बताया हुआ विष अपने-आप दूर हो जायेगा। फिर भी खूनी कानून रद्द होनेपर प्रवासी प्रतिबन्धक कानूनके बारेमें अलग चर्चा अथवा आन्दोलनकी आवश्यकता नहीं है, यह समझकर कीम बैठी रहे तो उसका यह अर्थ माना जायेगा कि उसने नये हिन्दुस्तानी प्रवासियोंपर पूरा प्रतिबन्ध लगाना स्वीकार कर लिया है। इस तरह हमें उस कानूनका विरोध तो अवश्य ही करना था; विचारणीय यही था कि उसे सत्याग्रहमें सम्मिलित किया जाये या नहीं। कीमने विचार किया कि यदि सत्याग्रह चलते समय भी कोमपर कोई नया आक्रमण किया जाये तो उसे सत्याग्रहमें सम्मिलित करना अवश्य ही उसका धर्म है। यदि अशक्तिके कारण वैसा न किया जा सके तो यह अलग बात है। नेताओंको यह लगा कि शक्तिके अभावका अथवा शक्तिकी अपर्याप्तताका बहाना करके इस विषैले कानूनको छोड़ा नहीं जा सकता और इसलिए उसे भी सत्याग्रहमें सम्मिलित करना ही होगा।

इस कारण इस सम्बन्धमें स्थानीय सरकारसे पत्र-व्यवहार किया गया। उससे कानूनमें कोई फेरफार तो नहीं किया गया; किन्तु जनरल स्मट्सने इसे कौमको -ठीक देखें तो मुझे बदनाम करनेका नया साधन माना। वे जानते थे कि

१. यह कानून १ जनवरी, १९०८ से लागू हुआ।