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दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास

आदत थी कि उन्हें कुछ भी लिखना होता तो इधर-उधर टहलकर उसपर विचार करते। उन्हें एक छोटा-सा पत्र लिखना था। मेरा खयाल था कि वे उसे जल्दी ही लिख लेंगे। किन्तु नहीं। मैंने इसपर कुछ कहा तो उन्होंने मुझे उपदेश दिया : आप मेरे जीवनको क्या जानें ? मैं छोटेसे-छोटे काममें भी उतावली नहीं करता; मैं उसपर विचार करता हूँ, उसका मध्यबिन्दु सोचता हूँ; तब उस विषयके अनुरूप भाषा बना- करं लिखता हूँ । यदि सब लोग ऐसा करें तो समयकी कितनी बचत हो ? लोग भी, उन्हें आज जो अधकचरे विचार मिल रहे हैं, उसके भारसे बच जायें । "

टॉल्स्टॉय फार्मके ये संस्मरण जैसे गोखलेके यहाँ आनेके वर्णनके बिना अधूरे माने जाते वैसे ही श्री कैलनबैकके रहन-सहनके सम्बन्धमें कुछ कहे बिना अधूरे माने जा सकते हैं। इस निर्मल मनुष्यका परिचय मैं पहले दे चुका हूँ। श्री कैलनबैक टॉल्स्टॉ फार्ममें हम लोगोंके समाजमें और हमारी ही भाँति रहे, यही आश्चर्यकी बात थी । गोखले सामान्य बातोंसे आकर्षित होनेवाले मनुष्य न थे। किन्तु कैलनबँकके जीवनके महान् परिवर्तनसे वे भी बहुत आकर्षित हुए थे। कैलनबैकने न कभी जाड़ा और गरमी सहन किये थे और न किसी प्रकारका कष्ट ही उठाया था - तात्पर्य यह है कि असंयम उनका धर्म बन गया था। उन्होंने सांसारिक सुखोंका उपभोग खुलकर किया था और जो वस्तु धर्मसे प्राप्त की जा सकती थी उसे अपने सुखके लिए प्राप्त करनेमें कभी संकोच न किया था ।

ऐसे मनुष्यका टॉल्स्टॉय फार्ममें रहना, सोना-बैठना, खाना-पीना और फार्मवासि- योंमें घुलमिल जाना कोई सामान्य बात नहीं थी। हम लोगोंको इससे आनन्द और आश्चर्य हुआ। कुछ गोरोंने कैलनबैकको मूर्ख या पागल माना; किन्तु कुछमें उनकी इस त्यागकी क्षमताके कारण उनके प्रति सम्मानभाव बढ़ा। कैलनबैकने अपना त्याग कभी दुःखरूप नहीं माना। उन्हें जितना आनन्द अपने वैभवसे मिला था उससे अधिक अपने इस त्यागसे मिला था। वे अपने सादा जीवनके सुखोंका वर्णन करनेमें तन्मय हो जाते थे और क्षणभरके लिए सुननेवाला भी इस सुखको भोगनेके लिए लालायित हो जाता था। वे छोटे और बड़े सबसे इतने प्रेमसे मिलजुल कर रहते कि उनसे अल्प समयके लिए भी अलग होना साले बिना न रहता। उन्हें फलदार पेड़ लगानेका बेहद चाव था । अतः उन्होंने बागवानीका काम अपने ही हाथमें रखा था और वे नित्य प्रातः बालकोंसे और बड़ोंसे फलदार पेड़ोंकी सार-सँभाल करवाते थे। वे उन सबसे पूरी मेहनत लेते, फिर भी वे ऐसे हँसमुख और आनन्दी स्वभावके थे कि सभीको उनके साथ काम करना अच्छा लगता था। रातको दो बजे जगकर कोई टुकड़ी टॉल्स्टॉय फार्मसे जोहानिसबर्गको पैदल रवाना होती तो उसमें श्री कैलनबैक जरूर होते ।

धार्मिक मामलोंपर उनसे मेरी रोज बात होती। मेरे पास अहिंसा, सत्य आदि यमोंके अतिरिक्त दूसरी बात हो ही क्या सकती थी.? सर्प आदि हिंसक जीव-जन्तुओं- को मारनेमें पाप है, मेरी इस बातसे पहले तो अन्य अनेक यूरोपीय मित्रोंकी भाँति श्री कैलनबैकको भी धक्का लगा; किन्तु अन्तमें उन्होंने तात्त्विक दृष्टिसे यह सिद्धान्त स्वीकार कर लिया। उन्होंने मुझसे सम्बन्ध स्थापित करते ही यह बात मान ली थी