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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं गोखलेसे और दूसरे नेताओंसे प्रार्थना करता आ रहा था कि वे दक्षिण आफ्रिकामें आकर हिन्दुस्तानियोंकी स्थितिका अध्ययन करें। किन्तु कोई आयेगा या नहीं, इसमें मुझे पूरा सन्देह था । श्री रिच किसी नेताको भेजनेका प्रयत्न कर रहे थे। किन्तु जब लड़ाई बिलकुल ठंडी पड़ गई हो तब आनेका साहस भी कौन करता ? गोखले सन् १९११ में इंग्लैंड में थे। उन्होंने दक्षिण आफ्रिकाकी लड़ाईका अध्ययन किया ही था। उन्होंने हिन्दुस्तानकी केन्द्रीय विधानसभामें उसकी चर्चा की थी और २५ फरवरी १९१० को नेटालमें गिरमिटियोंको भेजना बन्द करनेका प्रस्ताव भी पेश किया था। उनका यह प्रस्ताव वहाँ स्वीकृत भी किया गया था। उनसे मेरा पत्र-व्यवहार चल ही रहा था। वे भारत मन्त्री से इस सम्बन्ध में बातचीत कर रहे थे। और उन्होंने उनको दक्षिण आफ्रिका जाकर इस प्रश्नको समझनेका अपना निश्चय बता दिया था। भारत मन्त्रीको उनका यह विचार पसन्द आया । गोखलेने मुझे दक्षिण आफ्रिकाके छः सप्ताहके दौरेका कार्यक्रम बनानेकी बात लिखी और दक्षिण आफ्रिकासे अपनी रवानगीको अन्तिम तारीख भी दी। इस खबरसे हमारी खुशीका ठिकाना न रहा । अभीतक किसी भी नेताने दक्षिण आफ्रिकाका दौरा कभी नहीं किया था । दक्षिण आफ्रिका तो क्या, हिन्दुस्तानसे बाहरके किसी भी उपनिवेशमें कोई भी हिन्दुस्तानियोंकी स्थिति देखनेके लिए कभी नहीं गया था। इसलिए हम सभी गोखले-जैसे महान् नेताके इस दौरेका महत्त्व समझ गये । हमने निश्चय किया कि गोखलेका ऐसा सम्मान किया जाये जैसा कभी किसी सम्राट्का भी नहीं किया गया हो । उनको दक्षिण आफ्रिकाके मुख्य-मुख्य नगरों में भी ले जानेका निश्चय किया गया। सत्याग्रही और गैर-सत्याग्रही सभी हिन्दुस्तानी खुशीसे उनके स्वागत की तैयारियोंमें सम्मिलित हुए। इस स्वागत में सम्मिलित होनेके लिए गोरोंको भी निमन्त्रित किया गया और वे लगभग सभी जगह उसमें सम्मिलित हुए। हमने यह भी निश्चय किया कि जहाँ-जहाँ सार्वजनिक सभाएँ की जायें वहाँ यथासम्भव उनकी अध्यक्षता वहाँके मेयर स्वीकार करें तो उन्हींसे कराई जाये और वहाँके टाउन हॉलके उपयोगकी अनुमति मिल सके तो सभाएँ उन टाउन हॉलोंमें ही की जायें। हमने रेल विभागसे अनुमति लेकर मुख्य मुख्य स्टेशनों को सजानेकी अनुमति ले ली और यह कार्य अपने जिम्मे लिया। हमें बहुतसे स्टेशनों को सजानेकी अनुमति मिल भी गई। ऐसी अनुमति सामान्यतः दी नहीं जाती थी । हमारी स्वागतकी भारी तैयारियोंका प्रभाव अधिकारियोंपर हुआ और उन्होंने जितनी सहानुभूति वे दिखा सकते थे उतनी सहानुभूति दिखाई। उदाहरणके लिए हमने जोहानिसबर्गमें रेलवे स्टेशनको सजानेमें लगभग पन्द्रह दिन लगायें होंगे, क्योंकि हमने वहाँ एक सुन्दर चित्रकारी किया हुआ दरवाजा बनाया था, जिसका नक्शा श्री कैलनबैकने बनाया था।

१. प्रस्ताव सम्बन्धी गांधीजीकी टिप्पणीके लिए देखिए खण्ड १०, पृष्ठ १८२-३ और पृष्ठ १८५-६ ।

२. देखिए खण्ड ११ ।

३. अन्तिम वाक्यांश अंग्रेजोसे अनूदित है।