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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

होकर श्री गोखले मेरी भाषाका थोड़ा भी उपयोग करेंगे? उन्होंने मेरे विचारोंका उपयोग किया, मैं यह भी नहीं कह सकता। किन्तु उन्होंने मेरे विचारोंकी उपयोगिता स्वीकार की, इससे मैंने अपने मनमें यह मान लिया कि उन्होंने मेरे विचारोंका कुछ- न-कुछ उपयोग किया होगा। किन्तु उनकी विचारसरणी ऐसी थी कि उन्होंने कहीं मेरे विचारको स्थान दिया है या नहीं दिया है इसका पता मुझे नहीं लग सका । मैं गोखलेके सभी भाषणोंमें मौजूद रहा था, किन्तु मुझे कोई ऐसा प्रसंग याद नहीं आता जब मेरी इच्छा यह हुई हो कि यदि वे अमुक विचार या अमुक विशेषणका प्रयोग न करते तो अच्छा होता। उनकी विचारकी स्पष्टता, दृढ़ता, विनम्रता आदि उनके आत्यन्तिक परिश्रम और सत्यपरायणताका परिणाम थे ।

जोहानिसबर्गमें केवल हिन्दुस्तानियोंकी विराट् सभा भी करनी जरूरी थी। मेरा यह आग्रह पहलेसे ही था कि हमें या तो मातृभाषामें बोलना चाहिए या राष्ट्रभाषा हिन्दुस्तानीमें । दक्षिण आफ्रिकामें इस आग्रहके कारण हिन्दुस्तानियोंसे मेरा सम्बन्ध सरल और निकट बन सका था। इसलिए मैं चाहता था कि श्री गोखले भी हिन्दुस्ता- नियोंके सामने हिन्दुस्तानी भाषामें बोलें तो अच्छा हो । मैं इस सम्बन्धमें गोखलेके विचारोंको जानता था । वे टूटी-फूटी हिन्दीमें अपना काम नहीं चला सकते थे इस- लिए वे या तो मराठीमें बोलते या अंग्रेजीमें। उन्हें मराठीमें बोलना कृत्रिम लगा और यदि वे उसमें बोलते तो गुजरातियों और उत्तर भारतीय श्रोताओंके लिए उसका हिन्दुस्तानीमें तो अनुवाद करना ही होता । तब वे अंग्रेजीमें क्यों न बोलते ? सौभाग्यसे मेरे पास एक ऐसा तर्क था जिससे वे मराठीमें बोलना स्वीकार कर सकते थे। जोहानिसबर्गमें कोंकणी मुसलमान बहुत रहते थे। कुछ महाराष्ट्रीय हिन्दू भी वहाँ थे ही। इन सबकी बहुत इच्छा थी कि गोखलेका मराठीमें भाषण सुनें । उन्होंने मुझसे कह रखा था कि मैं उनसे मराठीमें बोलनेकी प्रार्थना करूँ। मैंने उनसे कहा, आप मराठीमें बोलेंगे तो इन लोगोंको खुशी होगी और आप मराठी में उसका हिन्दुस्तानी में अनुवाद करूँगा। इससे वे बड़े जोरसे हँस पड़े। आपका हिन्दुस्तानीका ज्ञान तो मुझे अच्छी तरह मालूम है। वह हिन्दुस्तानी आपको मुबारक रहे। किन्तु अब आप मराठीसे अनुवाद करेंगे ? मुझे आप यह तो बतायें कि आपने इतनी मराठी कहाँसे सीख ली ? मैंने कहा, जो बात आपने मेरी हिन्दु- स्तानीके बारेमें कही वही मेरी मराठीके सम्बन्धमें भी समझें । मैं मराठीका एक शब्द भी नहीं बोल सकता । किन्तु मुझे जिस विषयका ज्ञान है यदि आप उस विषयमें मराठी में बोलेंगे तो उसका आशय में अवश्य समझ जाऊँगा । आप देखेंगे कि मैं लोगोंके सम्मुख उसका अनर्थ तो कदापि ही नहीं करूंगा। मैं आपको अच्छी मराठी जाननेवाला अनुवादक अवश्य दे सकता हूँ, किन्तु आप उसे पसन्द नहीं करेंगे। इस लिए आप मुझे निभा लें, किन्तु बोलें मराठीमें ही। इन कोंकणी भाइयोंकी तरह मैं भी आपका मराठी भाषण सुनने के लिए लालायित हूँ। उन्होंने मुझे यह कहकर खुश कर दिया कि आप अपनी जिद जरूर पूरी करेंगे । यहाँ तो मैं आपके पल्ले पड़ा हूँ, इसलिए छूट नहीं सकता। इसके बाद उन्होंने ठेठ जंजीवारतक मराठीमें