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दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास

अधिक कठिन होता है और उसमें अधिक संयमकी आवश्यकता होती है। ऐसे प्रलो- भन दक्षिण आफ्रिकामें हमारे सामने अनेक स्थानोंपर आये थे; किन्तु मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूँ कि उनका लाभ एक बार भी नहीं उठाया गया। इसीलिए मैंने बहुत बार कहा है कि सत्याग्रहीके लिए तो एक ही निश्चित उद्देश्य हो सकता है। वह न उसमें कमी कर सकता है और न उसको बढ़ा सकता है। उसमें न क्षयके लिए अवकाश होता है और न वृद्धिके लिए । मनुष्य अपने लिए जो मापदण्ड स्थिर करता है उसे संसार भी उसी मापदण्डसे नापने लगता है। सत्याग्रही ऐसी सूक्ष्म नीतिका दावा करते हैं, जब सरकारको यह बात मालूम हो गई तो उसने सत्याग्रहियोंको उनके बनाये मापदण्डसे नापना शुरू किया, यद्यपि वह उस नीतिका एक भी सिद्धान्त स्वयं अपने ऊपर लागू नहीं करती थी। उसने उनपर दो-चार बार नीतिभंग करनेका आरोप लगाया। यह बात एक बालक भी समझ सकता है कि काले कानूनके बाद हिन्दुस्तानियोंके विरुद्ध नये कानून बनाये जायें तो उनका समावेश लड़ाईमें किया जा सकता है। फिर भी जब नये आनेवाले हिन्दुस्तानियोंपर नये प्रतिबन्ध लगाये गये और वे लड़ाईके उद्देश्योंमें सम्मिलित किये गये तब सरकारने हिन्दुस्तानियोंपर नये प्रश्न उठानेका आरोप लगाया। उसका यह आरोप बिलकुल अनुचित था। नये आनेवाले हिन्दुस्तानियोंपर ऐसे नियन्त्रण लगनेपर, जो उनपर पहले नहीं लगे थे, हमारा उन्हें लड़ाईमें सम्मिलित करनेका अधिकार होना उचित ही था और हम देख चुके हैं कि इसी कारण सोराबजी आदि ट्रान्सवालमें प्रविष्ट हुए। सरकारसे यह बात सहन नहीं हो सकती थी; किन्तु निष्पक्ष लोगोंको इस कदमका औचित्य समझानेमें तनिक भी कठिनाई नहीं हुई थी। ऐसा अवसर गोखलेके जानेके बाद फिर सम्मुख आया । गोखलेने तो खयाल किया था कि तीन पौंडी कर एक वर्षमे रद कर ही दिया जायेगा और उनके जानेके बाद दक्षिण आफ्रिकी संसदका जो अधिवेशन होगा उसमें उसे रद करनेका कानून पेश कर दिया जायेगा। इसके बजाय जनरल स्मट्सने संसदके उस अधिवेशनमें यह घोषणा की कि चूंकि नेटालके गोरे इस कानूनको रद करनेके लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए दक्षिण आफ्रिकी सरकार उसे रद करनेका कानून पास करनेमें असमर्थ है। वास्तवमें कोई ऐसी बात नहीं थी। संघ संसदमें चार उपनिवेश हैं जिनमें से एक नेटाल है। उसमें नेटालके सदस्योंकी बात नहीं चल सकती थी। फिर मन्त्रि- मण्डलका कर्तव्य था कि वह कानूनको रद करने की बात संसदमें नामंजूर होनेतक तो चलाता ही; किन्तु जनरल स्मट्सने ऐसा नहीं किया। इसमें हमें इस क्रूर करको भी लड़ाईके कारणों में सम्मिलित करनेका सुअवसर सहज ही मिल गया। इसके दो कारण थे। यदि सरकार लड़ाईके बीचमें कोई वचन दे और फिर उस वचनको भंग करे तो वह वचनभंग चालू सत्याग्रह में सम्मिलित किया जा सकता है, यह एक कारण था। दूसरा कारण यह था कि इस वचनभंगसे हिन्दुस्तानके गोखले-जैसे प्रतिष्ठित प्रतिनिधिका अपमान होता था और उनका अपमान सारे हिन्दुस्तानका अपमान था; अतः यह अपमान सहन नहीं किया जा सकता था। यदि केवल पहला ही कारण

१. देखिए खण्ड ११, परिशिष्ट २२ ।