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दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास


था, कोई चोरीके जुर्ममें कैद काटकर छूटा था और कोई व्यभिचारके अपराधमें कैद भुगत आया था। हड़ताली मजदूरोंमें नीतिका भेद करना मेरे लिए सम्भव नहीं था। में भेद करता भी तो मुझे अपना रहस्य कौन बताता ? में उनका काजी बनने बैठता तो अविवेकी सिद्ध होता । मेरा कर्त्तव्य केवल हड़ताल चलाना था । इसमें दूसरे सुधारोंको बीचमें लानेकी गुंजाइश नहीं थी। इस छावनीमें नीतिकी रक्षा करना मेरा कर्तव्य था। इसमें आनेवाले लोग पहले कैसे थे, इसका पता लगाना मेरा कर्त्तव्य नहीं था। ऐसी शिवजीकी बरात स्थिर होकर निठल्ली बैठती तो अपराध किये बिना न रहती। जितने दिन मैंने वहाँ बिताये उतने शान्तिसे बीते, यह चमत्कार ही था। सभी इतने दिन इस तरह शान्तिसे रहे, मानो अपना-अपना आप-धर्म समझ गये हों।

मुझे उपाय यह सुझा कि मुझे इस टुकड़ीको ट्रान्सवालमें ले जाना चाहिए और फीनिक्सके पूर्वोक्त सोलह आदमियोंकी तरह इनको भी जेलमें बिठा देना चाहिए। मनमें आया कि इन लोगोंको थोड़ी-थोड़ी संख्या में बांटकर सरहद पार करा दूं; किन्तु मैंने यह विचार तुरन्त ही रद कर दिया। उसमें बहुत समय लगता और थोड़े-थोड़े लोगोंके जेल जानेका उतना असर न पड़ता जितना सामूहिक रूपसे जेल जानेका ।

मेरे पास लगभग पांच हजार आदमी इकट्ठे होंगे। उन सबको रेलगाड़ीसे नहीं ले जाया जा सकता था। इतना पैसा कहाँसे आता ? और इससे लोगोंकी परीक्षा नहीं हो सकती थी। न्यूकैसिलसे ट्रान्सवालकी सीमा ३६ मील थी। नेटालका सरहदी शहर चार्ल्सटाउन और ट्रान्सवालका फोक्सरस्ट था। अन्तम मैंने पैदल यात्रा करनेका निश्चय किया। मैंने मजदूरोंसे सलाह की। उनमें स्त्रियाँ और बच्चे भी थे; अतः कुछने आनाकानी की। मेरे सम्मुख दिल कड़ा करनेके सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं था। मैंने उनसे कहा, "जिसे खानोंमें वापिस जाना हो वह जा सकता है, " किन्तु कोई भी वापिस जानेके लिए तैयार न हुआ। उनमें जो अपंग थे हमने उन्हें रेलसे भेजनेका निश्चय किया। बाकी लोगोंने पैदल चार्ल्सटाउन जानेकी तैयारी बताई। यह मंजिल हमें दो दिनमें पूरी करनी थी। इस निश्चयसे अन्त में सभी प्रसन्न हुए। लोगोंने यह भी सोचा कि बेचारे लाजरस परिवारको इससे कुछ राहत मिलेगी। न्यूकैंसिलके गोरोंको प्लेग फैलनेका डर लग रहा था और वह कई तरहके कदम उठानेकी बात सोच रहे थे । वे लोग भयमुक्त हो गये और उनकी कार्रवाइयोंके डरसे हम भी मुक्त हो गये ।

हम कूचकी तैयारी कर रहे थे तभी मुझे खान- मालिकोंका मिलनेके लिए निम- न्त्रण मिला। मैं डर्बन गया किन्तु इसका विवरणमें नये प्रकरणमें दूंगा ।

१. विस्तृत विवरणके लिए देखिए खण्ड १२, पृष्ठ ५००-१०।