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दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास
अध्याय ४४

ट्रान्सवालमें प्रवेश - २

इस तरह संघ कहो, काफिला कहो, यात्रीदल कहो, ठीक निश्चित समयपर रवाना हो गया। चार्ल्सटाउनसे एक मीलकी दूरीपर फोक्सरस्टका नाला आता है। इस नालेको पार करते ही फोक्सरस्ट या ट्रान्सवालमें प्रवेश हो जाता । इस नालेके पास हो घुड़सवार पुलिस खड़ी थी। मैं पहले इस पुलिसके पास गया और लोगोंसे कहा गया कि जब मैं संकेत दूं तब वे ट्रान्सवालमें प्रवेश करें। किन्तु में पुलिससे बात कर हो रहा था कि इतनमें लोगोंने तो हल्ला बोल दिया और नालेको पार कर आये । सवारोंने उन्हें घेर लिया, किन्तु यह काफिला तो ऐसे रोका नहीं जा सकता था। पुलिसका विचार हमें गिरफ्तार करनेका था ही नहीं। मैंने लोगोंको शान्त किया और समझाया कि वे पंक्ति बनाकर चलें। पांच-छ: मिनटमें ही पूर्ण शान्ति हो गई और ट्रान्सवालमें कूच आरम्भ हो गया ।

फोक्सरस्टके गोरे लोगोंने दो दिन पहले ही सभा की थी और उसमें तरह-तरह की धमकियाँ दी थीं। कहा गया था कि यदि हिन्दुस्तानी ट्रान्सवालमें प्रवेश करेंगे तो हम उन्हें बन्दूकोंसे भून देंगे। इस सभामें गोरोंको समझाने के लिए श्री कैलनबैक गये थे; किन्तु उनकी बात सुननेके लिए कोई तैयार नहीं था। कुछ लोग तो उन्हें मारने के लिए भी खड़े हो गये थे। श्री कैलनबैक पहलवान हैं और उन्होंने सैंडोसे व्यायामकी शिक्षा ली है। उनको डराना मुश्किल था। एक गोरेने उन्हें द्वन्द्व युद्धके लिए चुनौती दी। श्री कैलबैन कहा, "मैन शान्ति-धर्म स्वीकार कर लिया है, इसलिए यह तो मुझसे हो नहीं सकता। मेरे ऊपर जो भी चोट करना चाहे, खुशीसे कर सकता है; किन्तु मैं तो इस सभा में बोलकर ही जाऊँगा । आपने इस सभा में आनेके लिए सभी गोरोंको निमन्त्रित किया है। मैं आपको यह बताने के लिए आया हूँ कि निर्दोष लोगोंको मारने के लिए सभी गोरे आपकी तरह तैयार नहीं हैं। एक गोरा ऐसा भी है जो आपको यह बताना चाहता है कि आपने हिन्दुस्तानियोंपर जो आरोप लगाये हैं वे झूठे हैं और जैसा आप समझते हैं, हिन्दुस्तानी वैसा नहीं चाहते। उन्हें आपका राज्य नहीं चाहिए; वे आपसे लड़ना नहीं चाहते और बेतादाद आपके देशमें आकर बस जाना भी नहीं चाहते। वे तो शुद्ध न्याय चाहते हैं । जो लोग ट्रान्सवालमें आना चाहते हैं वे यहां बसनेके लिए नहीं, बल्कि अपने प्रति किये गये अन्यायपूर्ण करके विरुद्ध अमली पुकार करने के लिए जाना चाहते हैं। वे वीर हैं, उत्पात नहीं करेंगे, आपसे लड़ाई नहीं करेंगे और आपकी गोलियाँ सहकर भी यहाँ अवश्य आयेंगे। वे आपकी गोलियों अथवा भालोंके डरसे वापिस न लौटेंगे। वे स्वयं कष्ट सहकर आपके हृदयको द्रवित करना चाहते हैं और उसे अवश्य द्रवित करेंगे। मैं आपसे इतना ही कहने आया हूँ कि मैंने इतना कहकर आपकी सेवा ही की है। आप चेत जायें और अन्यायसे बचें।" इतना कहकर श्री कैलनबँक चुप हो गये। लोग कुछ लज्जित हुए और उक्त चुनौती देनेवाला पहलवान तो उनका मित्र ही बन गया।