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दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास

मैं पुलिस अधिकारीके साथ चला गया। सुबह हुई तो फोक्सरस्टकी गाड़ीमें बैठा। फोक्सरस्टमें मुझपर मुकदमा चलाया गया। सरकारी वकीलने मुकदमेको ४ तारीखतक मुल्तवी करनेकी मुहलत माँगी, क्योंकि उसके पास पूरा सबूत नहीं था। मुकदमा मुल्तवी कर दिया गया। मैंने दरखास्त दी कि मुझे जमानतपर छोड़ दिया जाये। मैंने कारण यह बताया कि मेरे साथ २,००० पुरुष, १२२ स्त्रियां और ५० बच्चे हैं। मैं मुकदमेकी तारीखतक इन लोगोंको ठीक जगहपर पहुँचाकर वापस आ सकता हूँ । सरकारी वकीलन मुझे जमानतपर छोड़नेका विरोध किया किन्तु मजिस्ट्रेट मजबूर था; मुझपर जो आरोप लगाया गया था वह ऐसा नहीं था जिसमें जमानतपर न छोड़ना उसके अधिकारकी बात होती। इसलिए उसने मुझे ५० पौंडकी जमानत लेकर छोड़ दिया। श्री कैलनबैकने मेरे लिए मोटर तैयार कर रखी थी । उन्होंने मुझे उसीमें बैठाकर जल्दी ही काफिलेके पास पहुँचा दिया। 'ट्रान्सवाल लीडर' का विशेष प्रतिनिधि हमारे साथ जाना चाहता था। हमने उसे अपने साथ चलनेकी अनुमति दे दी और मोटरमें साथ बिठा लिया। उसने इस यात्राका, मुकदमेका और काफिलेके लोगोंसे मिलने-जुलनेका विस्तृत वर्णन अपने पत्रमें प्रकाशित किया। लोगोंने खुश होकर मेरा स्वागत किया और उनके उत्साहका पार न रहा। श्री कैलनबैक तुरन्त वापस फोक्सरस्ट चले गये, क्योंकि उनको चार्ल्सटाउनमें बचे हुए और नये आनेवाले हिन्दुस्तानियोंको सँभालना था ।

हम लोग फिर रवाना हुए; किन्तु मुझे मुक्त रहने देना सरकारको अनुकूल नहीं आ सकता था; इसलिए मैं दूसरे ही दिन फिर स्टैन्डर्टनमें गिरफ्तार कर लिया गया। स्टैन्डर्टन अपेक्षाकृत बड़ा कस्बा था । वहाँ में विचित्र ढंगसे गिरफ्तार किया गया। मैं उस समय लोगोंको रोटी बाँट रहा था। स्थानीय दूकानदारोंने हमें डिब्बों में बन्द मुरब्बा भेंट किया था। इसलिए खाना बांटने के काममें कुछ ज्यादा वक्त लगता था । तभी मजिस्ट्रेट मेरे पास आकर खड़ा हो गया, और वितरण समाप्त होनेतक चुप रहा। उसने उसके बाद मुझे एक ओर बुलाया। मैं उसे पहचानता था, इसलिए मैंने सोचा कि वह मुझसे कुछ बात करना चाहता है। किन्तु उसने मुझसे हँसकर कहा :

"आप अब मेरे कैदी हैं। "

मैंने कहा, 'मेरा दर्जा ऊँचा हो गया है, क्योंकि मुझे पुलिसके बजाय मजि- स्ट्रेट गिरफ्तार करने आये; किन्तु क्या आप मुझपर अभी मुकदमा चलायेंगे ?"

उन्होंने उत्तर दिया, "आप मेरे साथ ही चलें। अदालत तो बैठी ही है। "

मैं लोगोंको कूच जारी रखनेका निर्देश देकर वहाँसे चल पड़ा। मैंने अदालतमें पहुँचनेपर अपने ये पाँच साथी हिरासतमें देखे : पी० के० नायडू, बिहारीलाल महाराज, रामनारायण सिंह, रघु नारसू और रहीमखाँ ।

मुझे अदालतमें तुरन्त पेश किया गया। मैंने प्रार्थना की कि मुझे जमानतपर छोड़ दिया जाये और उसका कारण वही दिया जो फोक्सरस्टमें दिया था। सरकारी

१. विवरणके लिए देखिए खण्ड १२, परिशिष्ट ११ ।