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दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास

वे मुझसे मिलकर मेरे पूरे निर्देश लिए बिना जाना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने बीचमें मुझसे मिलने के लिए आनेकी अनुमति माँगी। मैंने उन्हें तारसे उत्तर दिया कि यदि वे गिरफ्तारीका जोखिम उठाकर आना चाहें तो आ जायें। लड़नेवाले सैनिक आवश्यक जोखिम उठानेके लिए सदा तैयार ही रहते हैं। यदि सरकार सबको गिरफ्तार करे तो गिरफ्तार हो जायें। लड़ाई ही यह थी। जबतक वह गिरफ्तार न करे तबतक सबको गिरफ्तार होने के सीधे और नीतिमय प्रयत्न करने थे। इसलिए पोलकने गिरफ्तारीकी जोखिम लेकर आना पसन्द किया ।

श्री पोलक ९ तारीखको स्टैन्डर्टन और ग्रेलिंगस्टाडके बीच टीकवर्थमें हमसे आ मिले। हम बातचीत कर रहे थे; किन्तु हमारी बातचीत लगभग पूरी होनेवाली थी। उस समय शामके तीन बजे थे। हम दोनों इस जत्थेके आगे-आगे चल रहे थे। दूसरे साथी भी हमारी बातें सुन रहे थे। श्री पोलकको शामकी डर्बन जानेवाली गाड़ी पकड़नी थी। किन्तु जब रामचन्द्रजी-जैसे महापुरुषको तिलक मिलते-मिलते बनवास मिला तब बेचारे पोलक किस गिनतीमें थे? हम बातें कर ही रहे थे कि इतनेमें एक घोड़ागाड़ी हमारे सामने आकर खड़ी हो गई। उसमें ट्रान्सवालके मुख्य प्रवासी अधिकारी श्री चैमने और एक पुलिस अधिकारी बैठे थे। वे दोनों नीचे उतरे। उनमें से एकने मुझे कुछ दूर ले जाकर कहा, "मैं आपको गिरफ्तार करता हूँ।"

इस तरह में चार दिनमें तीसरी बार गिरफ्तार किया गया ।

मैंने पूछा, “काफिलेका क्या होगा ? "

उत्तर मिला, "जो होगा सो होता रहेगा। "

मैंने आगे कुछ नहीं कहा। मैंने पोलकसे कहा कि वे काफिलेके साथ जाएँ। पुलिस अधिकारीने मुझे तो केवल लोगोंको अपनी गिरफ्तारीकी खबर देनेकी इजाजत दी। मैं लोगोंसे शान्ति कायम रखनेकी बात कहने जा रहा था, तब उसने कहा : अब आप मेरे कैदी हैं, अतः भाषण नहीं दे सकते। "

मैं अपनी र्यादा समझ गया, किन्तु समझनेकी जरूरत भी नहीं थी, क्योंकि अधिकारीने मेरा बोलना बन्द करने के साथ ही गाड़ीवानको जोरसे गाड़ी चलानेकी आज्ञा दी और काफिला एक क्षणमें हमारी निगाहसे ओझल हो गया ।

उक्त अधिकारी जानता था कि यहाँ फिलहाल मेरा ही राज्य है। वहाँ इस वीरान मैदानमें हमपर विश्वास रखकर ही वह दो हजार लोगोंके सामने अकेला खड़ा था । वह जानता था कि यदि उसने मुझे चिट्ठी भेजकर भी गिरफ्तार किया होता तो मैं अपने आपको सुपुर्द कर देता । इस स्थितिमें 'मैं कैदी हूँ', मुझे यह याद दिलाने की जरूरत नहीं थी। मैं लोगोंसे जो कुछ कहता वह अधिकारियोंके लिए भी उपयोगी ही होता। किन्तु उसे तो मुझे अपना रूप दिखाना था। मुझे इसके साथ यह भी कहना चाहिए कि बहुतसे अधिकारी मेरी गिरफ्तारीका अर्थ जानते

१. तार उपलब्ध नहीं है।

२. यह वाक्य अंग्रेजीसे अनूदित है। गुजराती में यहां ये वाक्य हैं: "हम हीडेलबर्गके पास पहुँच गये थे। वह उसके पासके स्टेशनपर उतरकर हमारे पास पैदल चल कर आये। "