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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

एकसे अधिक पत्नियाँ एक साथ वैध पत्नियाँ नहीं मानी जा सकतीं। दूसरे भागके द्वारा तीन पौंडका कर रद किया गया था जो हर गिरमिटियेको स्वतन्त्र हिन्दुस्तानीके रूपमें रहनेपर हर साल देना पड़ता था। इसके तीसरे भागके द्वारा उन प्रमाणपत्रोंका मूल्य बताया गया था जो दक्षिण आफ्रिकामं अधिवासका अधिकार पानेवाले हिन्दु- स्तानियोंको दिया जाता था। इसमें यह बताया गया था कि यह प्रमाणपत्र जिसके पास होगा उसे दक्षिण आफ्रिकामें अपने अधिवासका उसके अतिरिक्त कोई अन्य प्रमाण नहीं देना होगा। इस विधेयकके सम्बन्धमे संघकी संसदमें लम्बी और मीठी बहस हुई।

जिन अन्य बातोंके सम्बन्धमें कानून बनानेकी जरूरत नहीं थी, उनके सम्बन्ध में जनरल स्मट्स और मेरे बीच हुए पत्र व्यवहारसे स्पष्टीकरण किया गया था। यह स्पष्टीकरण इन बातोंके बारेमे था, केप कालोनीमें शिक्षित हिन्दुस्तानियोंके प्रवेशके अधिकारकी रक्षा, दक्षिण आफ्रिकामें प्रवेशकी विशेष अनुमति प्राप्त किये हुए हिन्दु- स्तानियोंके अधिकारोंकी रक्षा, १९१४ से पहले प्रविष्ट शिक्षित हिन्दुस्तानियोंका मामला और एकसे अधिक स्त्रियोंसे विवाह करनेवाले पुरुषको दूसरी स्त्रीको लानेकी रियायत । जनरल स्मट्सने मुझे ३० जून, १९१४ को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने यह बात भी लिखी थी, "संघ सरकारकी सदा यह इच्छा रही है और उसकी इस समय भी यही इच्छा है कि मौजूदा कानूनोंपर न्यायपूर्वक अमल किया जाये और हिन्दुस्तानियों- को जो अधिकार प्राप्त हैं उनकी रक्षा की जाये।" मैंने उसी दिन जनरल स्मट्सको इस आशयका पत्र लिखा था।

आपका आजका लिखा पत्र मुझे मिल गया। आपने धीरजसे और शिष्टतासे मेरी बात सुनी, इसके लिए मैं आपका कृतज्ञ हूँ । हिन्दुस्तानियोंको राहत देनेवाले कानूनसे और हमारे बीचके इस पत्र-व्यवहारसे सत्याग्रहकी लड़ाईका अन्त हो गया है। यह लड़ाई सितम्बर १९०६ में शुरू हुई थी । इससे हिन्दुस्तानी कौमको बहुत कष्ट सहने पड़े और आर्थिक हानि उठानी पड़ी तथा सरकारको भी चिन्तित रहना पड़ा। आप जानते हैं कि मेरे कुछ भाइयोंकी मांग बहुत अधिक थी, जैसे विभिन्न प्रान्तोंमें व्यापारिक परवानोंका कानून, ट्रान्सवालका स्वर्ण-कानून, ट्रान्सवाल शहरी कानून और सन् १८८५ का ट्रान्सवालका कानून संख्या ३ । इनमें कोई ऐसा फेरफार नहीं किया गया है जिससे हिन्दुस्तानियों को अधिवास-सम्बन्धी पूरे अधिकार मिल जाते, व्यापारकी स्वतन्त्रता मिलती और जमीन खरीदनेका और रखनेका हक मिलता। इसलिए उन्हें इससे असन्तोष है। कुछ लोगोंको इस कारणसे असन्तोष है कि उन्हें एक प्रान्तसे दूसरे प्रान्त में जानेकी पूरी स्वतन्त्रता नहीं दी गई। कुछ अन्य लोगोंको इसलिए असन्तोष है कि उनके खयालसे हिन्दुस्तानियोंको राहत देनेवाले कानूनमें विवाह- सम्बन्धी प्रश्नपर अधिक रियायत देनेकी जरूरत थी। उन्होंने मुझसे अनुरोध किया था कि ऊपरकी सब बातें सत्याग्रहकी लड़ाईमें शामिल कर ली जायें;

१. देखिए खण्ड १२, पृष्ठ ४२९-३० ।