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पत्र : मोतीलाल नेहरूको

आपने मेरा ध्यान मेरे द्वारा दी गई किसी भेंटकी तरफ दिलाया है। ऐसी कोई भी भयंकर भूल करनेका अपराध नहीं किया है। हमारे मित्र सदानन्दने मेरे पास भेंटके लिए कहलवाया था; लेकिन मैंने उन्हें खबर भेज दी थी कि मुझे कुछ भी नहीं कहना है । एसोसिएटेड प्रेसका संवाददाता मेरे पास अनेक बार आ चुका है और मैंने उसे भी वही जवाब दिया है। मैंने देवदाससे कहा है कि समाचारपत्रों में क्या छपा है, मुझे बताये। उसने भी किसी संवाददाताकी ओरसे एक अंशके सिवाय कुछ और नहीं देखा। मेरा खयाल है कि वह अंश 'यंग इंडिया' से लिया गया है।

श्रीमती नायडू एक दिन अहमदाबाद रहीं। उन्होंने कहा तो यह कि यात्राके दौरान यहाँ केवल यह देखनेके लिए उतर गई हूँ कि कच्छमें कुछ पौंड वजन खोकर अब मैं कैसा लग रहा हूँ । उन्होंने मुझे बताया कि भाषणमें क्या कुछ कहा जाये इसकी चर्चा करने वे महीने के अन्तम यहाँ आयेंगी। इस समय वे बम्बईमें हैं। सात दिसम्बरको मैं बम्बईके सत्याग्रह आश्रम के लिए रवाना होकर आठको बम्बई पहुँच रहा हूँ । मैं ९ को बम्बईसे वर्धाके लिए रवाना होकर १० को वहाँ पहुँच जाऊँगा। यदि आप समझते हैं कि तबतक रुकनेमें हर्ज नहीं है तो हम वर्धामें मिल सकते हैं । लेकिन शायद श्रीमती नायडू खुद तबतक न रुक सकें । यों आप कभी भी यहाँ आयें मुझे तो अवकाश रहेगा और बेशक वर्धामें भी। यदि आप सुने कि मैं फिर उपवास कर रहा हूँ तो चिन्तित न हों। यह केवल एक सप्ताहका उपवास है; यह मैंने आश्रमसे सम्बद्ध शालामें पढ़नेवाले कुछ-एक बच्चोंके गलत बर्तावके सिलसिलेमें आत्मशुद्धिके निमित्त किया है। ऐसे उपवास करना मेरी जरूरतोंका अंग बन गया है। उससे मुझे लाभ होता है और कमसे-कम कुछ समयके लिए आसपासका वातावरण शुद्ध हो जाता है। उपवास मंगलवारकी सुबह समाप्त होगा और जल्दी ही ताकत वापस पा लेनेमें कोई कठिनाई नहीं होगी। मैं दास्तानेको पहले ही लिख चुका हूँ । गंगाधर राव चूँकि यहाँ थे, इसलिए उनसे मैंने खुद ही कह दिया था ।

मैं आशा करता हूँ कि इस संकटसे आपको जो मानसिक चिन्ता और परेशानी इन दिनों है उसके बोझके बावजूद आप अपने स्वास्थ्यका पूरा ध्यान रखेंगे।

हृदयसे आपका,
 
मो० क० गांधो
 

अंग्रेजी पत्र (एस० एन० १०६६४) की फोटो-नकलसे ।





१. बम्बईके अंग्रेजी दैनिक फ्री प्रेस जर्नलके सम्पादक ।