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१३. जूते और पशुहत्या

बंगाल और मध्यप्रान्तमें भारतीय उद्योग आयोग (इंडियन इन्डस्ट्रियल कमिशन) के सामने जो बयान दर्ज हुए थे हम उनमें से कुछ अवतरणोंको प्रस्तुत कर रहे हैं। उनसे इस विषयपर काफी प्रकाश पड़ता है। यद्यपि इसके प्रति हम लोग अज्ञानवश इन बातोंपर नजर डालनेकी परवाह नहीं करते फिर भी उक्त विवरणसे यह बात निस्सन्देह स्पष्ट हो जाती है कि जो बढ़िया जूते हम लोग पहनते हैं, या हाथमें लटकानेवाले खूबसूरत सूटकेस जिन्हें हम लोग अभिमानके साथ लिये फिरते हैं या वस्त्र रखनेके चमड़के बड़े-बड़े सन्दूक जिनमें हम लोग अपने कीमती कपड़े, फिर चाहे वे खादीके हों, विदेशी हों, या मिलके बने हुए हों, शौकसे रखते हैं, उन सबपर निर्दोष जानवरोंकी हत्याके दाग पड़े हुए हैं। यदि संसारको नीतिकी कोई संरक्षक शक्ति है तो हमें इसके लिए किसी-न-किसी दिन उसके सामने जवाब भी देना होगा।

उपरोक्त आयोगके समक्ष दिये गये लम्बे-चौड़े बयानों में से उक्त अवतरणोंको श्री देसाईने अक्षरशः उद्धृत किया था। यदि यहाँ दिये गये उन उद्धरणोंको पढ़कर पाठकोंका दिल दहलता हो तो उन्हें अवश्य ही अ० भा० गोरक्षा मण्डल (साबरमती ) के सदस्य बन जाना चाहिये और यदि वे सदस्यता के शुल्कसे कुछ ज्यादा दे सकनेमें समर्थ हों तो उन्हें दान या भेंटके रूपमें कुछ रकम भी भेजनी चाहिए, ताकि इन पृष्ठों में पहले बताई गई चमड़ेके उन कारखानोंकी योजनापर अमल किया जा सके, जिनमें केवल मृत ढोरोंकी खालको कमाकर चमड़ा तैयार किया जायेगा ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २६-११-१९२५

१४. तार : लाजपतरायको

२६ नवम्बर, १९२५

जिस दिन चाहें जरूर आइये । आश्रम ही में ठहरें ।

गांधी


अंग्रेजी तार (एस० एन० १०६६१) की फोटो-नकलसे ।



१. नहीं दिये जा रहे हैं।

२. वाल्जी गोविन्दजी देसाई ।