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ओडका विनयमन्दिर

मिलते हैं। लेकिन जहां किसी रोगके कारण शरीर क्षीण होता है वहाँ तो अधिकांशतः आत्मा भी क्षीण ही होती है।

६. मर्यादितः शारीरिक बलकी प्राप्तिके लिए दूध-घीका सेवन करनेमें कोई हानि नहीं।

मोहनदास करमचन्द गांधीके वंदेमातरम्

गुजराती पत्र (एस० एन० १०६२३) की फोटो-नकलसे।

१८. तारामती मथुरादास त्रिकमजीको लिखे पत्रका अंश

२७ नवम्बर, १९२५

जच्चा-बच्चाको आशीर्वाद । आनन्दकी आत्मा इससे अवश्य प्रसन्न होती होगी क्योंकि उसकी दृष्टिमें इसका बहुत महत्त्व था।

[ गुजरातीसे ]

बापुनी प्रसादी

१९. ओडका विनयमन्दिर

ऊपरकी टिप्पणी' पढ़कर किसे दुःख नहीं होगा ? इससे मुझे तो बहुत दुःख हुआ है; क्योंकि ओडकी बहुत-सी मोठी स्मृतियाँ मेरे मनमें हैं। वहाँके लोगोंने जिस उत्साहका परिचय दिया था, मैं उसे भूल नहीं सकता । कहाँ वह ओड और कहाँ महादेव देसाई द्वारा चित्रित यह ओड ? ओडके विनयमन्दिरकी गिनती अच्छी राष्ट्रीय शालाओंमें की गई है। उसमें विद्यार्थियोंकी संख्या खासी है। उसमें अच्छे शिक्षक काम कर रहे हैं । ओड निवासियोंके पास पैसा भी है, लेकिन वे फिर भी इस शालाके निमित इकट्ठे किये गये पैसेका उपयोग नहीं करते और जिन्होंने इसकी स्थापना की है, वे इससे अलग हो गये हैं। यह सब कैसे दुःखकी बात है ? लेकिन जिनके मनमें स्वार्थ समा गया है, उन्हें कौन समझा सकता है? मेरी समझमें जहाँ-जहाँ ऐसी शालाएँ बन्द की जा रही हैं वहाँके लोग पश्चात्ताप करेंगे। राष्ट्रीय शाला कैसी भी क्यों न हो लेकिन उसमें विद्यार्थियोंको जिस स्वतन्त्र वातावरणमें रहनेकी तालीम मिलती है, वह अन्यत्र कहाँ मिल सकती है? क्या ओडके नेता अब भी नहीं चेतेंगे और

१. तारामतीको सास ।

.२. तारामतीके पुत्र-जन्मसे ।

३. ओडकी राष्ट्रीय शालाकी दुरवस्थाके सम्बन्ध में महादेव भाईकी टिप्पणी; यह यहाँ नहीं दी गई है।