पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/३२१

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४६. पत्र: पूँजाभाईको

सत्याग्रह आश्रम

वर्धा

मार्गशीर्ष बदी १० [१० दिसम्बर, १९२५]

भाई पूंजाभाई, '

तुम्हारा पत्र मुझे बम्बईमें मिला था; लेकिन पढ़ा उसे मैंने वर्धामें। तुम्हें स्वप्न हो जानेपर बिलकुल दुःखी न होना चाहिए। तुम्हें रातको रामनाम अथवा नवकार मन्त्रका जप करते-करते सोना चाहिए। इससे तुम धीरे-धीरे प्रकृतिस्थ हो जाओगे। साँझको केवल दूध ही लो तो कदाचित् अधिक अनुकूल रहे। जिन भजनोंको गाओ उनपर मनन करो। रसका स्वामी ईश्वर ही तो है; अतः सारे रस उसके ध्यानमें ही ग्रहण करो ।

{{right|बापूके आशीर्वाद

भाई पूँजाभाई नाना
सत्याग्रह आश्रम, साबरमती
बी० बी० ऐंड सी० आई० रेलवे

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० १८५) से ।

सौजन्य : नारणदास गांधी

{{c|४७. पत्र : नाजुकलाल एन० चौकसीको

सत्याग्रह आश्रम

वर्धा

मार्गशीर्ष वदी १० [१० दिसम्बर, १९२५]

भाई नाजुकलाल,

मुझे महादेवका पत्र मिला है, जिसमें उसने लिखा है कि ४ जनवरी तुम्हारी माताको अनुकूल नहीं पड़ती; इसलिए हम अव तारीख १९ जनवरी ही रखेंगे। हमें बिना कारण उनका मन नहीं दुखाना चाहिए। मैं १९ जनवरीको जैसे बने आश्रममें रहनेकी ही व्यवस्था कर लूंगा ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० १२१०६) की फोटो-नकल से ।

१. उर्फ विनुभाई शाह।

२. नाजुकलालके विवाहके लिए; विवाह असलमें १८ जनवरी, १९२६ को हुआ।