पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/३२३

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४९. पत्र : डब्ल्यू० एच० पिटको

स्थायी पता : साबरमती'

११ दिसम्बर, १९२५

प्रिय श्री पिट,

आपके ३० नवम्बरके पत्रके लिए धन्यवाद । स्थानीय समितिने अभीतक मुझसे पत्र-व्यवहार नहीं किया है, लेकिन आप इतना भरोसा करें कि जहाँतक मेरा सवाल है, मैं आजको दशामें मन्दिर प्रवेशके लिए सत्याग्रहका तरीका अपनाने से रोकनेका शक्ति-भर पूरा प्रयत्न करूंगा। मैंने सड़कके इस्तेमाल और मन्दिरोंमें प्रवेशके बीच हमेशा फर्क किया है । मन्दिरोंमें प्रवेशके लिए जनमत तैयार करना है, उसके बाद ही सत्याग्रहका तरीका अपनाया जा सकता है। मैं इसपर 'यंग इंडियाके' पृष्ठोंमें चर्चा करनेकी आशा करता हूँ। श्री राजगोपालाचारी द्वारा आपके विवाहके बारेमें मालूम हुआ। आपके लिए और आपकी सहधर्मिणीके लिए मैं सुखी और दीर्घ जीवनको कामना करता हूँ ।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस० एन० १११०८) की फोटो-नकलसे ।

५०. पत्र : घनश्यामदास बिड़लिको

वर्धा

मार्गशीर्ष कृष्ण ११ [११ दिसम्बर, १९२५]

भाई घनश्यामदासजी,

आपका पत्र मुझे मोला है। उसके पहले मैंने उपवासके बाद एक पत्र आपको दिल्ली के शीरनामेसे भेजा मीला होगा। मेरे उपवासका रहस्य आप खूब समझ गये है।

मैं कल वर्धा आ गया हुं। यहां मुझको बड़ी शांति मीलती है। आजकल तो हवा भी बहोत हि अच्छी है।

१. यह पत्र वास्तव में वर्षासे लिखा गया था।

२. वाइकोम सत्याग्रहके दौरान त्रिवेन्द्रमके पुलिस कमिश्नर देखिए खण्ड २६ ।

३. देखिए “ टिप्पणियाँ ", १४-१-१९२६ का उपशीर्षक "वाइकोम सत्याग्रह " ।