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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आपकी धर्मपत्नी शांत चित्त रहती है जानकर मुझको आनन्द होता है । मृत्युकी भेट जब आवे तब हम क्यों खुशीसे न करे ?

आपका,

मोहनदास गांधी

श्रीयुत घनश्यामदास बिड़ला
महेश विला
सोलन
शिमला हिल्स

मूल पत्र (सी० डब्ल्यू० ६११५) से ।

सौजन्य : घनश्यामदास बिड़ला

५१. पत्र : मणिबहन पटेलको

वर्धा

शुक्रवार, [११] दिसम्बर, १९२५

चि० मणि,

तुम्हारा पत्र मिल गया है। वहाँका काम पूरा करनेके बाद बम्बई में रुकना चाहो तो रुकना । नहीं तो तुरन्त यहाँ आ जाना। ज्यादातर तो यहाँ छुट्टियाँ लम्बी नहीं होती हैं । इसलिए तुम्हें कन्याशालामें तुरन्त काम मिल जायेगा। यह भी निश्चय किया गया है कि जमनालालजी की लड़की कमला और मदालसाको भी तुम्हीं पढ़ाओगी। अभी तो रहनेकी व्यवस्था जानकीवहनके साथ ही रखना । जब आओगी तभीसे तुम्हें ५० रुपये वेतन प्रतिमास मिलना शुरू हो जायगा । इसलिए जब आना हो आ जाना। कांग्रेस अधिवेशन में जानेकी इच्छा हो तो यहींसे मेरे साथ चलना, अथवा सीधी कानपुर चली आना। मुझे कानपुर २३ को पहुँचना है । तुम्हें यहाँ पहली जनवरीतक पहुँच जाना चाहिए।

मेरा वजन जितना घटा था उसमें से ९ पौंड फिर बढ़ गया है, अब ६ पौंड वजन और बढ़ाना है ।

बापूके आशीर्वाद

[ गुजरातीसे ]

बापुना पत्रो - ४: मणिबहेन पटेलने

१. साधन-सूत्रमें १२ दिसम्बर है; किन्तु शुक्रवार ११ दिसम्बर को था ।

२. जमनालाल बजाजकी पत्नी ।