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सम्पूर्ण गांवी वाङ्मय

ही लेता हूँ और पिछले तीन दिनोंसे मैंने अंगूर और सन्तरोंके अलावा पपीता, ककड़ी या चीकू और अनार लेना भी शुरू कर दिया है। अधिकसे-अधिक दूध एक दिनमें मैंने अबतक २ सेरके करीब लिया है। औसतन १।। सेर दूध रोज पीता हूँ और कभी-कभी मैं उसके साथ थोड़ी-सी डबल रोटी या पतली-सी एक चपाती भी खा लेता हूँ। मैं महीनोंतक दूध और फल खाकर रहा हूँ और मैंने उस हालतमें भी अपनेको हमेशा स्वस्थ पाया है।

मेरा वजन जेलसे छूटनेके बाद अधिकसे-अधिक ११२ पौंडतक पहुँच गया था । इन सात दिनोंके उपवासमें कोई ९ पौंड वजन कम हो गया था। मैंने खोया हुआ तमाम वजन फिर प्राप्त कर लिया है और अब मेरा वजन १०३ पौंडसे भी कुछ अधिक है। पिछले तीन दिनोंसे तो मैं सुबह-शाम नियमित रूपसे व्यायाम भी कर लेता हूँ और उसमें मुझे कुछ भी थकावट नहीं मालूम होती है। समतल जमीनपर चलनेमें मुझे कोई कठिनाई नहीं होती। हाँ, सीढ़ियाँ चढ़ने या उतरनेमें कुछ श्रम अब भी मालूम होता है। दस्त भी नियमित रूपसे साफ होता हैं और रातको नींद अच्छी तरह आती है।

मेरी रायमें तो उन इक्कीस दिनोंके या सात दिनोंके इस उपवासके कारण मेरे शरीरको कुछ भी हानि नहीं पहुँची। इन सात दिनोंमें वजनका बहुत घट जाना कुछ चिन्ताजनक अवश्य था । लेकिन आरम्भमें साढ़े तीन दिनोंमें मैंने जो कठिन परिश्रम किया था स्पष्टतः वही इसका कारण था। थोड़ा और आराम कर लेने पर मैं अपनी पहले जैसी वही शक्ति, जो उपवासके आरम्भमें थी, फिर प्राप्त कर लूंगा; और शायद कच्छमें मैंने जो शक्ति और वजन गँवाया था वह भी बिना कठिनाईके प्राप्त कर सकूँगा ।

जो लोग किसी भी कारणवश उपवास करना चाहें उनके लिए मैं एक औसत दर्जेके आदमीकी नजरसे और केवल शरीरकी दृष्टिसे कुछ नियम नीचे दे रहा हूँ :

१. अपनी मानसिक और शारीरिक शक्तिकी संरक्षा आरम्भसे ही करनी चाहिए।

२. जब उपवास किया जाये तब उपवासके दौरान भोजनकी बात नहीं सोचनी चाहिए।

३. ठंडा पानी, नमक और सोडा डालकर या बिना सोडेके या नमकके ही, जितना बने, उतना, मगर प्रति बार थोड़ा-थोड़ा पिया जाये । (पानी खौलाया हुआ, ठंडा किया हुआ और छाना हुआ होना चाहिए) नमक और सोडेसे नहीं डरना चाहिए। क्योंकि ज्यादातर तो पानीमें स्वतन्त्र रूपमें ये चीजें रहती ही हैं।

४. रोजाना गरम पानीमें निचोड़े हुए कपड़ेसे शरीर साफ करवा लेना चाहिए।

५. उपवासके दिनोंमें नियमित रूपसे नित्य एनिमा लेना चाहिए। एनिमा लेनेपर जितना मल निकलता है, उसे देखकर आश्चर्य होगा ।

६. यथासम्भव खुली हवामें सोया जाये ।

७. सुबह धूपमें बैठे। धूप और हवामें बैठना भी उतना ही शुद्धिकारक है जितना कि स्नान करना ।