पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास

बी भूमध्य रेखासे बहुत दूर है। दक्षिण आफ्रिकाके अधिकांश भागोंकी जलवायु बहुत अच्छी और इतनी सम है कि वहाँ यूरोपीय जातियाँ मजे में रह सकती हैं। उनके लिए हिन्दुस्तान में वसना लगभग असम्भव है। दक्षिण आफ्रिकामें तिब्बत अथवा कश्मीर- जैसे काफी ऊँचे-ऊँचे प्रदेश भी हैं। अलबत्ता वे तिब्बत अथवा कश्मीर जैसे दससे चौदह हजार फुटतक ऊँचे नहीं हैं । इसलिए उनकी जलवायु सूखी है और ठंड भी वहाँको सहने योग्य ही होती है। इसीलिए दक्षिण आफ्रिकाका कुछ प्रदेश क्षय रोगियोंके लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। दक्षिण आफ्रिकाकी स्वर्णपुरी जोहानिसबर्ग ऐसा ही एक स्थान है। यह नगर जिस भू-भागमें बसा हुआ है वह आजसे ५० वर्ष पहले सुखी घासका एक बिलकुल वीरान मैदान-भर था। किन्तु जब पता चला कि इस बीहड़ जमीन के भीतर सोना भरा पड़ा है तब वहाँ मानो जादूसे मकानपर-मकान बनने लगे और आज तो वह बड़े-बड़े सुन्दर बंगलोंकी विशाल नगरी है। वहाँ बसे हुए घनी लोगोंने दक्षिण आफ्रिकाके उपजाऊ भागों और यूरोपसे एक-एक गिनी प्रति पौधेतक खर्च करके पेड़ मँगाये और उन्हें यहाँ लगाया। और जो यात्री इस नगरका पूर्व इतिहास नहीं जानता उसे तो यही लगेगा कि शताब्दियोंसे ये पेड़ वहाँ रहे होंगे।

यहाँ मैं दक्षिण आफ्रिकाके सभी भागोंका परिचय देना नहीं चाहता; जिन भागोंका सम्बन्ध हमारे विषयसे है, में उन्हींका कुछ परिचय दूंगा । दक्षिण आफ्रिकामें दो जातियोंका राज्य है। एक अंग्रेजोंका और दूसरा पुर्तगालियोंका । पुर्तगाली भाग डेलागोआ-वे कहलाता है और उसका इसी नामका बंदरगाह हिन्दुस्तानसे जाते वक्त मार्ग में आनेवाला पहला बंदरगाह है। उससे कुछ नीचे उतरें तो नेटाल आता है। यह अंग्रेजोंका पहला उपनिवेश है। इसके बंदरगाहका नाम भी पोर्ट नेटाल है, किन्तु हम उसे डर्बन नामसे जानते हैं और वह दक्षिण आफ्रिकामें सामान्यतः इसी नामसे प्रसिद्ध है । डर्बन नेटालका सबसे बड़ा शहर है। नेटालकी राजधानी पीटरमै रित्स- बर्ग कहलाती है और वह डर्बनसे भीतर की ओर लगभग ६० मील दूर समुद्रतलसे करीब २००० फुटकी ऊँचाईपर बसी हुई है। डर्बनकी जलवायु कुछ-कुछ बम्बईसे मिलती-जुलती है। किन्तु उसमें बम्बईकी अपेक्षा कुछ ठंडक अवश्य अधिक है। नेटालसे निकलकर आगे बढ़ें तो ट्रान्सवाल आता है । आज संसारमें सबसे अधिक सोना वहाँकी जमीनसे निकलता है। कुछ समय पहले वहाँ हीरेकी खानें भी मिली हैं जिनमें से एक खानमें संसारका सबसे बड़ा हीरा क्लीनन निकला है । खानके मालिकके नामपर इसका नाम क्लीनन रखा गया है। इसका वजन तीन हजार केरट है जब कि कोहनूर हीरा लगभग १०० केरट और रूसके राजमुकुटमें जड़ा हुआ ओर्लोफ नामका हीरा २०० केरट वजनका है।

जोहानिसबर्ग स्वर्णपुरी है और उसके पास हीरे की खानें भी हैं किन्तु वह ट्रान्स- वालकी राजधानी नहीं है। ट्रान्सवालकी राजधानी प्रिटोरिया है। यह जोहानिसबर्गसे ३६ मील दूर है, और वहाँ मुख्यतः शासक वर्ग और उनसे सम्बन्धित लोग रहते हैं। इसलिए वहाँका वातावरण अपेक्षाकृत अधिक शान्तिपूर्ण है, जबकि जोहानिसबर्गका