पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/३३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

पत्र : रामेश्वरदास बिड़लाको

भारतके कोयम्बटूर जिलेके उतुकुली ताल्लुकेमें किया जा रहा है। एक कार्यकर्त्ताने इस कार्यका निम्न सुन्दर विवरण भेजा है।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, १३-१२-१९२५

५५. पत्र : ए० हनुमन्तरावको

१३ दिसम्बर, १९२५

प्रिय मित्र,

आपके पत्रके लिए धन्यवाद । हम बहुधा बुद्धिसे कुछ चीजें समझ जाते हैं लेकिन उन्हें आचरणमें उतारनेकी हमारी हिम्मत नहीं पड़ती।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

अंग्रेजी पत्र (जी० एन० १५७) की फोटो-नकलसे ।

५६. पत्र: रामेश्वरदास बिड़लाको

वर्धा

मार्गशीर्ष कृष्ण १३ [१३ दिसम्बर, १९२५ ]

भाई रामेश्वरदासजी,

भाई जगजीवनदास मेहता मुझे कहते हैं कि यदि में उनका अन्त्यजोंके लिये मंदीर बनानेका साहस को पसंद करूँ तो आप उनको धन देनेके लिए तैयार हैं। भाई जगजीवनदासको मैं जानता हूँ, वे सज्जन हैं और परोपकारी कामोंमें हिस्सा लेते हैं, अंत्यज मंदिरकी उनकी योजना मैंने देख ली है, दूसरे अंत्यज सेवकोंसे अभिप्राय लेनेका भी मैंने उनको कहा था वह भी उन्होंने लीया है। जिस प्रकारका मंदीर बनाना चाहते हैं उसमें रु० २,५०० का खर्च बताते हैं, मैं भी मानता हूं कि ऐसा मकान और बादमें कितना खर्च होगा यदि आप इतना दान देना चाहें तो यह कार्य अच्छा है ऐसा मेरा विश्वास है।

आपका

मोहनदास करमचंद गांधी

मूल पत्र (सी० डब्ल्यू० ६११६) से।

सौजन्य : घनश्यामदास बिड़ला


१. यहाँ नहीं दिया गया है।

२. १९२५ की काठियावाड़ पात्राके दौरान गांधीजीसे अन्त्यजोंके लिये एक मन्दिर बनवानेका अनुरोध किया गया था। यह मन्दिर बादमें लाठी अन्त्यज मन्दिर' के नामसे प्रसिद्ध हुआ।

२९-२०