पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/३४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३१६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

किया गया था कि केवल शुद्ध खादी ही प्रदर्शनीमें रखी जा सकेगी और यह भी निर्णय हुआ था कि ऐसी कोई भी वस्तु जिसमें विदेशी या देशी मिलका सूत मिला होगा उसे वहाँ न रखा जा सकेगा। आज भी यही ठीक है। इस स्थितिमें कोई फर्क नहीं पड़ा है; और मैं यह पूर्ण विश्वासके साथ कह सकता हूँ कि खादी प्रदर्शनी में शुद्ध खादीके सिवा और कुछ भी रखना एक प्रकारसे धोखा देना है।

चरखेकी शक्ति

आचार्य रामदेवने मुझे जो अनेक बातें लिख भेजी हैं, उनमें से एक यह भी है :

मुझे निश्चय हो गया है कि जबतक ब्रिटेनके लोगोंका उद्देश्य वही बना है तबतक भारतपर वे अपना आधिपत्य नहीं छोड़ेंगे-- और उनका उद्देश्य है। आर्थिक शोषण । देशकी दौलतका बाहर जाने देना कारगर ढंगसे बन्द करना केवल एक ही उपायसे सम्भव है, और वह है खद्दर। हमारे गुरुकुलमें माध्य- मिक विभाग के सभी तथा उच्च श्रेणियोंके बहुतेरे विद्यार्थी कताई जानते हैं। माध्यमिक श्रेणीके अधिकांश तथा उच्च श्रेणोके काफी विद्यार्थी नित्य सूत कातते हैं। हमारे वेद महाविद्यालय के प्रधानाचार्य श्री पण्डित देवशर्मा विद्यालंकार प्रतिदिन सूत कातनेवालों में से हैं और निष्ठाके साथ नित्य चरखा चलाते हैं। हमारी संस्थाके दो या तीन प्राध्यापक भी ऐसा ही करनेका प्रयत्न करते हैं । आपके तथा मेरे भावी मिलनके अवसरपर. शायद में भी आपको एक कतैयेके रूपमें दीख पड़ें। प्राचार्य विद्यावती कन्या गुरुकुल दिल्लीम कताई शिक्षामें सुधार करनेके लिए उत्सुक हैं। वे वहाँ बुनाई भी चालू करनेकी इच्छुक हैं।

आशा है कि आचार्य रामदेव अपना वचन पूरा करेंगे और अगली बार जब मेरी उनसे मुलाकात होगी तब मैं देखूंगा कि वे जितने बड़े विद्वान् हैं उतने ही कुशल कतैये भी हैं। मैं उन विद्यार्थियों और प्राध्यापकोंको, जो यज्ञके रूपमें नित्य कातते है, बधाई देता हूँ।

केनियाके हिन्दुस्तानी सावधान हों

गुरुकुल कांगड़ीके आचार्य श्री रामदेव पूर्वीय आफ्रिकामे कोई छः महीने रहकर अभी लौटे हैं। वे वहाँ रहनेवाले हिन्दुस्तानियोंके दैनिक जीवनका बड़ा दुःखमय चित्र खींचते हैं। उन्होंने मुझे बताया है कि वहाँ बहुतसे हिन्दू-मुसलमानोंने शराब पीना शुरू किया है और वे उन बहुतेरी विदेशी चीजोंका इस्तेमाल करने लगे हैं जिनका कि उपयोग किये बिना उनका काम चल सकता है। स्थानीय कांग्रेसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। उनका यह भी कथन है कि नेतागण नेतृत्व नहीं कर रहे हैं। उन्होंने अन्य आक्षेप भी किये हैं और उन्हें प्रकाशित करनेका मुझे अधिकार भी दिया है लेकिन अभी मैं उन्हें प्रकाशित नहीं कर रहा हूँ। मैं चाहता हूँ कि मैं उनके सुझावके अनु- सार किसीको पूर्वीय आफ्रिका भेजकर उनके आक्षेपोंके बारेमे जाँच-पड़ताल कराऊँ । लेकिन मुझे अफसोस है कि कमसे-कम फिलहाल तो यह करना मेरे लिए सम्भव नहीं है। फिर भी में केनियाके हिन्दुस्तानियोंसे यह प्रार्थना अवश्य करूंगा कि वे अपने