बीचके दोषोंको दूर करें। जो बातें इस टिप्पणीमें नहीं लिखी गई हैं उन्हें भी समझ लें और अपनेको व्यवस्थित करें। जिन लोगोंने शराब पीना आरम्भ कर दिया है । उन्हें इस आदत को छोड़ देना चाहिए और जो इस आदतसे बचे हुए हैं उनको चाहिए कि वे वहाँके मद्यपान करनेवाले बन्धुओंको इस बुराईसे दूर रहने के लिए कहें।
भाईश्री'६६. पत्र : वालजी गो० देसाईको'
वर्धा
गुरुवार [१७ दिसम्बर, १९२५]
आशा है, आपने चौंडे बाबाको पत्र लिख दिया होगा। दिन नियत होनेकी सूचना मुझे भी दें। आप जब आयें तब हिसाबकी बहियाँ, सदस्योंके नाम-धाम आदि लायें। मैंने संविधान पढ़ लिया है। हमें अब वार्षिक बैठक बुलानी चाहिए।
हमें एक अच्छी कार्यकारिणी समिति नियुक्त करनेकी जरूरत है, इसपर भी विचार कर लेंगे ।
मोहनदास के वन्देमातरम्
गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ७७४२) से सौजन्य : वालजी देसाई
सौजन्य: बालाजी देसाई
६७. पत्र : मूलचन्द अग्रवालको
वर्धा
पोष शुक्ल २ [१७ दिसम्बर, १९२५]
आपका पत्र मीला है। खद्दर पहननेमें सरकारका कोई विरोध नहिं होता है । नमकहराम उसीको कहा जाय जो जिस कार्यके लीये तनखा पाता उसीको न करे जैसे की डाकवाला खतोंको नियमसर न दे या तो उसका नाश करे। परंतु डाकवाला राष्ट्रीय कामोंमें हिस्सा लेवे उसमें कुछ अधर्म नहिं करता है।
१. १० दिसम्बर से २१ दिसम्बरतक गांधीजी वर्षामें थे। देखिए “ पत्र : घनश्यामदास बिड़लाको ", ४-१२-१९२५
२. यह तिथि मूल पत्रपर नीचे लिखी हुई है।