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दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास

यहाँ ढोर-डंगर भी काफी हैं। गाय और बैल हिन्दुस्तानके गायों और बैलोंसे अधिक बड़े और मजबूत होते हैं। जो हिन्दुस्तान अपनेको गोरक्षक कहता है उसमें गायों और बैलोंको हिन्दुस्तानके लोगोंकी ही तरह कमजोर देखकर मुझे लज्जाका अनुभव हुआ है और कई बार मेरा मन भीतर ही भीतर रोया भी है। मैं आफ्रिकाके सभी भागोंमें काफी आया-गया हूँ, फिर भी मुझे कहीं कोई दुबली गाय या दुबले बैलको देखनेकी याद नहीं आता । प्रकृतिने इस भू-भागको भरपूर सम्पन्नता के साथ-साथ इसे प्राकृतिक सौन्दर्य देनेमें भी कृपणता नहीं की है। डर्बन बहुत सुन्दर है, किन्तु केप कालोनी उससे भी अधिक सुन्दर है। केपटाउन टेबल माउन्टेन नामके मध्यम ऊँचाईके पहाड़के तले बसा है। दक्षिण आफ्रिकाकी प्रशंसक एक विदुषी बनने अपनी कवितामें इस पहाड़का वर्णन करते हुए लिखा है, 'जैसा अलौकिक सौन्दर्य मैंने इस पहाड़में देखा है वैसा किसी दूसरे पहाड़में नहीं देखा' । इसमें अत्युक्ति हो सकती है और मैं मानता हूँ इसमें अत्युक्ति है भी; किन्तु इस विदुषी बहनकी एक बात मेरी समझमें आ गई है। उसने कहा है कि टेबल माउन्टेन मानो केपटाउनके लोगोंका मित्र है। वह बहुत ऊँचा नहीं है, इसलिए भयावना नहीं लगता, लोगोंको उसके प्रति अपनी श्रद्धा दूरसे ही व्यक्त नहीं करनी पड़ती, बल्कि वे इस पहाड़पर मकान बनाकर रहते हैं। बिल्कुल समुद्र तटपर स्थित होनेसे समुद्र अपने स्वच्छ जलसे इसका पाद-प्रक्षालन करता और उसका चरणामृत लेता है। बालक और वृद्ध, स्त्रियाँ और पुरुष निर्भय होकर लगभग सारे ही पहाड़पर घूम सकते हैं और पूरा पहाड़ हर रोज शहरके हजारों लोगोंके स्वरोंसे गूंजता रहता है। बड़े-बड़े पेड़ और सुगंधित रंग-बिरंगे फूलोंने समूचे पहाड़को ऐसा सजा रखा है कि लोग उनको देखते और उनके बीच भ्रमण करते हुए तृप्त ही नहीं होते।

दक्षिण आफ्रिका में गंगा और यमुना-जैसी बड़ी-बड़ी नदियाँ नहीं हैं। जो थोड़ी बहुत नदियाँ हैं वे छोटी हैं। इस देशमें बहुत-से भागमें नदियोंका पानी पहुँचता ही नहीं है। ऊँचे प्रदेशोंमें नहरें भी कैसे ले जाई जा सकती है ? और जहाँ अगाध जल- वाली नदियाँ न हों वहाँ नहरें कैसे निकालें ? दक्षिण आफ्रिकामें जहाँ-कहीं प्रकृतिने पानीकी तंगी रखी है वहाँ पाताली कुएँ खोदकर उनसे खेतोंकी सिंचाईके लिए पन- चक्कियों और भापसे चलनेवाले इंजनोंको मददसे पर्याप्त पानी निकाला जाता है । दक्षिण आफ्रिकाकी सरकार खेतीपर बहुत ध्यान देती है। वह किसानोंको सलाह देनेके लिए कृषि-शास्त्री भेजती है और कई जगह लोगों की सहायताकी दृष्टिसे अनेक खेती- सम्बन्धी प्रयोग करती है । वह नमूने के फार्म चलाती है, लोगोंको पशुओंकी और बीजों- की मदद देती है, बहुत कम खर्चसे पाताली कुएँ बनाती है और किसानोंको उनकी लागत किस्तोंमें चुकानेकी सुविधा देती है। सरकार फार्मोंके चारों ओर कटीले तारोंकी बाड़ भी लगाती है।

दक्षिण आफ्रिका भूमध्य रेखाके दक्षिणमें है और हिन्दुस्तान उत्तरमें है, इसलिए वहाँके सारे मौसम हिन्दुस्तानियोंको उलटे-उलटे लगते हैं। जब अपने यहाँ गरमी होती है तब वहाँ जाड़ा होता है। वहाँ वर्षा भी किसी निश्चित नियमसे होती है, यह नहीं