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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कहा जा सकता। वहाँ चाहे जब वर्षा हो जाती है और फिर भी सामान्यतः सालमें २० इंचसे अधिक वर्षा नहीं होती ।

अध्याय २

इतिहास

आफ्रिकाके भूगोलपर दृष्टिपात करते समय हमने जिन भागोंकी चर्चा की है, वे बहुत पुराने समयसे आबाद चले आते हैं, पाठक ऐसा न समझें । यह ठीक-ठीक निश्चय नहीं किया जा सकता है कि प्रारम्भमें इस प्रदेशमें कौन लोग रहते थे। जब यूरोपीय लोग यहां आये तब तो यहाँ हब्शी लोग रहते थे। ऐसा खयाल किया जाता है कि जिस समय अमेरिका में गुलामीकी अन्यायपूर्ण प्रथा जोरोंपर थी उस समय कुछ हब्शी गुलाम भागकर दक्षिण फ्रिकामे आ बसे थे । ये लोग उन्हींके वंशज हैं। वे जुदी-जुदी जातियोंके नामसे प्रसिद्ध हैं जैसे जुलू, स्वाजी, बसूटो और बेचुवाना आदि। इन लोगोंकी भाषाओं में भी अन्तर होता है। ये हब्शी ही दक्षिण आफ्रिकाके मूल निवासी माने जाते हैं। किन्तु दक्षिण आफ्रिका इतना विशाल देश है है कि वहाँ जितने हब्शी इस समय हैं उनकी अपेक्षा बीस या तीस गुनी आबादी वहाँ आसानीसे रह सकती है। डर्बनसे केपटाउन रेलसे लगभग १,८०० मील दूर है । समुद्रसे फासला भी १,००० मीलसे कम नहीं है। इन चारों उपनिवेशोंका क्षेत्रफल ४,७३,००० वर्गमील है।

इस विशाल प्रदेश में सन् १९१४ में हब्शियोंकी आबादी लगभग पचास लाख और गोरोंकी आबादी लगभग तेरह लाख थी । हब्शियोंमें जुलू लोग सबसे अधिक दीर्घकाय और सुन्दर माने जा सकते हैं। हब्शियोंके लिए सुन्दर विशेषणका प्रयोग मैंने जान- बूझकर किया है। हम श्वेत वर्ण और नुकीली नाकको सुन्दर मानते हैं। यदि हम थोड़ी देरके लिए यह अन्धविश्वास अपने मनसे हटा दें तो हमें ऐसा नहीं लगेगा कि विधाताने जुलू लोगोंको गढ़ने में कोई कसर उठा रखी है। स्त्री और पुरुष दोनों कदमें ऊँचे-पूरे और उनके वृक्ष तदनुरूप चौड़े होते हैं। शरीरके समस्त अवयव सुगठित और बहुत मजबूत होते हैं। उनकी पिडलियाँ और वाहें मांसल और गोल होती है। आपको शायद ही कोई जुलू स्त्री या पुरुष कमर या कन्धे झुकाकर चलता दिखाई देगा। उनके होंठ अवश्य बड़े और मोटे होते हैं; किन्तु उनके समस्त शरीरके आकारको देखते हुए कमसे-कम मैं तो उन्हें तनिक भी बेढंगा नहीं कह सकता। उनकी आँखें गोल और चमकदार होती हैं। उनकी नाक चपटी और उतनी ही बड़ी होती है जितनी उनके बड़े मुँहपर शोभा दे सके। सिरके घुंघराले बाल उनकी शीशम-जैसी काली और चमकती हुई त्वचापर बहुत फबते हैं। यदि हम किसी जुलूसे यह पूछें कि दक्षिण आफ्रिकामें जो जातियाँ रहती हैं उनमें सबसे सुन्दर जाति कौन-सी है तो वह अपनी जातिको ही सुन्दरतम बतायेगा और मुझे इसमें नासमझीकी कोई बात दिखाई नहीं देती । आज यूरोपमें सैंडो और अन्य पहलवान अपने शिष्योंके बाँहों, हाथों और अन्य अवयवोंके विकासके लिए विविध प्रयत्न करते हैं। किन्तु इस जातिके लोगोंके अंग-