पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/३५४

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७६. टिप्पणियाँ

पूर्ण नशाबन्दी

श्रीयुत च० राजगोपालाचारीने एक अत्यन्त ही संक्षिप्त किन्तु प्रभावकारी घोषणा- पत्र प्रकाशित किया है। उसमें उन्होंने सिफारिश की है कि यदि पटनाके प्रस्तावकी ताईद की जाये तो वैसा करते समय पूर्ण मद्यनिषेधको कांग्रेसके कार्यक्रममें एक अलग रचनात्मक कार्यका दर्जा दिया जाये। उन्होंने एक निजी पत्रमें लिखा है कि "जनताको एकताके सूत्र बाँधनेवाली एकमात्र राजनीतिक शक्ति पूर्ण निषेध ही बन सकती है, बननी चाहिए, और बनी हुई है।" इसीके द्वारा ब्राह्मणों और अब्राह्मणोंको एक किया जा सकता है; सभी राजनीतिक दलोंको मिलाया जा सकता है। पूर्ण मद्यनिषेधका सम्बन्ध सीधे जनतासे ही है और इसका प्रभाव भी उसीपर पड़ेगा इसलिए वह जनताको भी पसन्द आयेगा । इसमें तनिक भी सन्देह नहीं कि पूर्ण मद्यनिषेधकी बड़ी आवश्यकता है और इसके बिना शराबखोरीके अभिशापसे हजारों सुखी घरोंमें जो भयंकर बरबादी आई है वह दिनोंदिन बढ़ती ही जायेगी। इसलिए आशा है कि घोषणा-पत्र दिया सुझाव सम्बन्धित लोग स्वीकार करेंगे ।

अमेरिकीको सन्तोष

जहाँ बहुतसे भारतीय मित्र अमेरिका जानेके निमन्त्रणको अस्वीकार करनेके लिए मुझसे नाराज हो रहे हैं; वहाँ एक आदरणीय अमेरिकी मित्र, जो भारतको अच्छी तरह जानते हैं, लिखते हैं:

इस देशमें आनेके लिए कुछ अमेरिकी मित्रोंकी प्रार्थनाका आपने जो उत्तर दिया है उससे मुझे बड़ा सन्तोष हुआ है । आशा है कि आप अपने इस रुखको बदलेंगे नहीं, क्योंकि आप भारतमें रहकर हमारा कहीं ज्यादा भला कर सकते हैं। हमारे यहाँके अच्छे-अच्छे लोगोंमें भी निरर्थक कौतूहलकी प्रवृत्ति है। मैं यह बिलकुल नहीं चाहता कि आप उसके शिकार बनें।

मैं लेखकको विश्वास दिलाता हूँ कि निरर्थक कौतूहलको सन्तुष्ट करनेके लिए मैं कभी अमेरिका नहीं पहुँचूँगा। मैं यह बात बहुत अच्छी तरह जानता हूँ कि कुछ भी क्यों न हो, जबतक में भारत में अपनी स्थिति सुदृढ़ नहीं बना लेता तबतक अमेरिका या यूरोप जानेसे पश्चिम या पूर्व किसीको कुछ लाभ नहीं होगा ।

कहाँतक गिर गये !

विचित्र बात है कि जब कोई आदमी या संस्था अपनी एक स्थितिसे पीछे हटने लगता या लगती है तो फिर कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लौटनेकी कोशिशके बावजूद भी वह अपनी मूल स्थिति प्राप्त नहीं कर पाता । इस सम्बन्धमें एक पत्र- लेखक इस प्रकार लिखता है: