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अधिवेशनके पहले

कि श्री गॉडफेने इस जालमें फँसने से दृढ़तापूर्वक इनकार कर दिया। भारतवर्ष कमजोर जरूर है फिर भी इसमें उससे जो कुछ भी मदद देते बनेगी, देगा। शिष्ट-मण्डलको सभी दलोंका समर्थन प्राप्त होगा। वह हिम्मत न हारे और संघर्ष जारी रखे ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २४-१२-१९२५

७८. अधिवेशनके पहले

कांग्रेसका आगामी अधिवेशन उसके इतिहासमें निराला ही होगा। राष्ट्रके द्वारा अधिकसे-अधिक दिया जा सकनेवाला सम्मान और गौरव एक भारतीय स्त्रीको पहली बार मिलने जा रहा है। दुनिया हमें घृणाके पात्र, गुलाम और लाचार मानकर हमारी राष्ट्रीय सभाका चाहे कुछ भी खयाल न करे, किन्तु हमारे लिए तो हमारी इस सभाका सभापति ही सब-कुछ होना चाहिए। इस वर्ष श्रीमती सरोजिनी नायडूको यह अनुपम गौरव मिलने जा रहा है; इसे प्राप्त करनेका उन्हें हक है । श्रीमती सरोजिनी नायडू कवयित्री होने के नाते संसार-भरमें प्रसिद्ध हैं। एक बार सार्वजनिक कार्य में भाग लेना प्रारम्भ करनेके बाद उन्होंने उस क्षेत्रको फिर नहीं छोड़ा। सभी उनके पास निःसंकोच भावसे जा सकते हैं। राष्ट्रने उनसे जब जो-कुछ सेवा चाही है वे सदा ही उसके लिए तत्पर रही हैं । ऐक्य तो उनका मूल मन्त्र ही है। वीरता उनके चेहरेसे टपकती है। १९२१के बम्बईके दंगोंके समय वे निर्भय होकर बम्बईके गली- कूचोंमें पहुँच जाती थीं और विवेकहीन लोगोंकी भीड़को उसके अन्धे जोशपर खरी- खोटी भी सुनाती थीं। यदि खबर मिलनेपर फौरन ही, आवश्यकता हो तो अपनी तन्दुरुस्तीको जोखिम में डालकर भी, किसी कामके लिए तैयार हो जाना त्याग है, तो वे प्रमाणित कर चुकी हैं कि उनका त्यागका माद्दा असामान्य है। जो लोग उनकी आफ्रिकाकी यात्रामें उनके साथ थे उन्होंने मुझे बताया है कि वे बड़ी कठिन परि- स्थितिमें भी अविश्रान्त परिश्रम करती थीं. - वह इतना परिश्रम करती थीं कि बहुतेरे युवक भी उनके श्रमको देखकर शरमा जाते । दक्षिण आफ्रिकामें उन्होंने जो कार्य किया है उससे यह प्रमाणित हुआ है कि उनमें एक साहसी राजदूतके-से लक्षण विद्यमान हैं। अपरिचित वातावरणमें और राजनीतिके कुशल विशारदोंसे वास्ता पड़नेपर भी उन्होंने अपने उत्तरदायित्वको बड़ी खूबीसे निभाया । यदि उनकी यात्राके फलस्वरूप उनके कष्ट-पीड़ित देशवासियोंको कुछ राहत नहीं मिल पाई तो उसका कारण उनकी अयोग्यता नहीं; उससे समस्याकी जटिलता ही जाहिर होती है। उससे अधिक और कोई कुछ कर ही नहीं सकता था। मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं है कि सरोजिनी नायडूको अध्यक्ष पदसे वंचित करना कर्त्तव्य भंगका दोष करना होता । गत वर्ष हम लोगोंका यह कर लेना काफी था ।

१. १९२४ में; देखिए खण्ड २३ तथा २४ ।