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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


इसलिए हमारा कर्तव्य है कि उनके कार्यको सुगम बनाने तथा उनके बोझको वहन करने योग्य बनानके लिए हमसे जितना भी बन पड़े उतना काम करें। उनके सामने बड़े नाजुक और कठिन प्रश्न खड़े हुए हैं। यहाँ उनको गिनाने की जरूरत नहीं है। समस्याएँ भीतरी भी है और बाहरी भी। कदाचित् भीतरी समस्याएँ बाहरी समस्याओंसे अधिक हैं। यदि हम उन्हें पूरी तरह हल कर सके तो समझना चाहिए कि तीन चौथाई लड़ाई जीत गये। घरके मामलों में तो स्त्रीका अधिकार ही सबसे अधिक होता है। इसलिए क्या सरोजिनी देवी हमारे घरकी उन कठिनाइयोंको जिन्हें दूर करनेमें पुरुष असफल हुए हैं, सफल होंगी? वे स्त्री हैं; फिर भी यदि हम उनकी मदद न करेंगे तो वे सफल न हो सकेंगी। प्रत्येक कांग्रेसीको उनकी कठिनाइयोंको हल करनेमें पूरा योग देना अपना कर्त्तव्य समझना चाहिए । बाह्य कठिनाइयोंको तो कुशल और दक्षता प्राप्त लोग देख लेंगे, लेकिन घरेलू मामले हल करनेमें हम सभी कुशल हैं या होना चाहिए। हम सब शान्ति स्थापित करने तथा आपसी लड़ाई-झगड़े बन्द करने के लिए प्रयत्न कर सकते हैं। हम लोग सब स्वदेश-प्रेमी बन सकते हैं और संकुचित भावोंको छोड़ सकते हैं। हम लोग स्वयं प्रस्ताव पास करके अपने ऊपर जो कर्तव्य आरोपित करें, उन्हें हम ईमानदारी के साथ पूरा कर सकते हैं। हमारे सहयोगके बिना श्रीमती सरोजिनी कुछ भी नहीं कर पायेंगी। हमारी सहायतासे वे उस कार्यको कर सकेंगी जिसके लिए वे स्त्री और कवयित्री होनेके नाते खास तौरसे योग्य हैं। ईश्वर उन्हें अपने कठिन कर्तव्यको निभाने के लिए शक्ति और बुद्धि प्रदान करे।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २४-१२-१९२५

७९. कुछ तथ्यपूर्ण आँकड़े

जो लोग भारतकी स्वतन्त्रताके लिए काम कर रहे हैं, उन्हें निम्न तालिका अवश्य ही दिलचस्प लगेगी और वे उससे कुछ सीख सकेंगे :

कैप्शन का टेक्स्ट
वर्ष देशी राज्यों सहित आबादी (लाखों में) ब्रिटिश भारत में खेतीका रकवा (लाख एकड़ों में) अन्नकी खेतीका रकवा (एकड़) प्रति व्यक्ति अन्न की खेतीका रकवा (एकड़) कपास की खेतीका रकवा (लाख एकड़ों में)
१९२१ ३१,७० २७,१० २०,४० ०.६४ एकड़ १५०
१९११ ३१,५० २५,७० १९,५० ०.६२ एकड़ १४०
१९०९ २९,४० २३,१० १७,७० ०.६० एकड़ ९६

२० सालमें आबादी २९,४० लाखसे बढ़कर ३१,८० लाख हो गई है; अन्नकी खेतीका रकबा १७,७० लाखसे २०,४० लाख एकड़ हो गया है। इसलिए स्पष्ट है