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भाषण : कानपुर-अधिवेशन में

बादमें इस खयालसे कि डा० रहमान इस मामलेमें गांधीजीको भावनाओंको समझ सकें और इस उद्देश्यसे कि चेतावनीभरे उनके शब्द दक्षिण आफ्रिकाके राज- नीतिज्ञोंके कानोंतक पहुँच जाये, गांधीजी काफी देरतक अंग्रेजीमें बोले :

श्रीमती सरोजिनी देवी तथा मित्रो !

मुझे मालूम नहीं कि जो प्रस्ताव में रख रहा हूँ, उसकी प्रतिलिपियाँ आप लोगोंतक पहुँच गई है या नहीं। आप लोगोंको प्रस्ताव सुननेका कष्ट न उठाना पड़े और राष्ट्रका थोड़ा-सा समय भी बच जाये इसलिए आप प्रस्ताव सुन ही लें। वह इस प्रकार है:

आप लोगोंके सामने इस प्रस्तावको स्वीकृतिके लिए पेश करते हुए मुझे बड़ी खुशी होती है; यही नहीं, श्रीमती सरोजिनी देवीने इसे आपके सामने पेश करनेका कार्य मुझे सौंपा है, इसे में अपना परम सौभाग्य मानता हूँ । सरोजिनी देवीने मुझे 'दक्षिण आफ्रिकी' कहकर आप लोगोंसे मेरा परिचय कराया है; लेकिन यदि उन्होंने उसमें इतने शब्द 'जन्मसे हिन्दुस्तानी लेकिन दक्षिण आफ्रिकाका दत्तक पुत्र' और जोड़ दिये होते तो ज्यादा ठीक होता । दक्षिण आफ्रिकाने मुझे गोद जरूर लिया है। दक्षिण आफ्रिकासे आये हुए जिस शिष्टमण्डलका आप प्रेमपूर्वक स्वागत करनेवाले हैं उसके नेता जब मंचपर आयेंगे और डा० रहमान आप लोगोंसे यह कहेंगे कि दक्षिण आफ्रिकाके भारतवासियोंका यह दावा है कि हिन्दुस्तानको गांधी हम लोगोंने दिया है तब आपपर यह बात प्रकट हो जायेगी । उनका यह दावा मुझे स्वीकार है। यह बात बिलकुल सच है कि हिन्दुस्तानकी जो कुछ भी सेवा में कर सका हूँ. वह असेवा भी हो सकती है। -- उसका कारण ही यह है कि मैंने उसकी क्षमता दक्षिण आफ्रिकामें प्राप्त की थी। मेरी यह सेवा, यदि असेवा है तो यह उनका दोष नहीं है; यह तो मेरी त्रुटि के कारण है। इसलिए, इस प्रस्तावमें जो कुछ कहा गया है उसके समर्थनमें मैं आप लोगोंके सामने कुछ तथ्य रखूंगा। यह विधेयक दक्षिण आफ्रिकी भाइयोंके सिरोंपर नंगी तलवारकी तरह लटक रहा है। इसका उद्देश्य भारत- वासियोंके प्रति केवल अधिक अन्याय करना ही नहीं, बल्कि दक्षिण आफ्रिकासे उन्हें निकाल बाहर करना है ।

निःसन्देह इस विधेयकका यही अर्थ है। दक्षिण आफ्रिकाके गोरोंने इस अर्थको सही माना है। संघ सरकारने भी नहीं कहा है कि उसका यह अर्थ नहीं है। यदि विधेयकका परिणाम यही हो तो दक्षिण आफ्रिकाके भारतवासियोंको उससे कितना दुःख होगा, इसकी कल्पना आप स्वयं ही कर सकते हैं। थोड़ी देरके लिए यह मान लिया जाये कि विधानसभाको बैठकमें देशनिकालेका कोई कानून पास होनेवाला है और उससे एक लाख भारतवासियोंको हिन्दुस्तानमें से निकाल दिया जायेगा। ऐसी आफतके समय हम लोग क्या करेंगे? ऐसे प्रसंगपर हमारा व्यवहार कैसा होगा ?

१. यह अनुच्छेद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके ४० वें अधिवेशनको रिपोर्टसे लिया गया है। प्रस्तावके

लिये देखिए “ भाषण : दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंसे सम्बन्धित प्रस्तावपर ", २५-१२-१९२५