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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


ठीक, ऐसा ही प्रसंग वहाँ उपस्थित है। इसीलिए यह शिष्टमण्डल आप लोगोंके पास आया है। हिन्दुस्तानकी जनतासे, कांग्रेससे, वाइसरायसे, भारत सरकारसे और उसके जरिये साम्राज्यीय सरकारसे मदद प्राप्त करने के लिए यह शिष्टमण्डल यहाँ आया हुआ है।

लॉर्ड रीडिंगने उन्हें एक लम्बा उत्तर दिया है, और कितना अच्छा होता कि मैं इसे सन्तोषजनक उत्तर भी कह सकता । किन्तु वाइसराय महोदयका उत्तर जितना लम्बा है उतना ही असन्तोषजनक भी है। और यदि लॉर्ड रीडिंगका इरादा शिष्ट- मण्डलके सदस्योंसे यही बात कहनेका था तो वह यह बात थोड़ेसे शब्दोंमें कह सकते थे, और इस प्रकार वह उन सदस्योंको और इस देशको यह करुण और दयनीय दृश्य देखने से बचा सकते थे जिसमें एक शक्तिशाली सरकार खुले तौरपर यह स्वीकार कर रही है कि वह दक्षिण आफ्रिकाके उन भारतीयोंकी समुचित मदद करनेमें असमर्थ है जो अपनी किसी गलतीके कारण नहीं बल्कि, जैसा कि दक्षिण आफ्रिकाके अनेक यूरोपीय स्वीकार करेंगे, अपने गुणोंके कारण अब दक्षिण आफ्रिकासे निष्कासित होनेके खतरे में पड़ गये हैं। जिन लोगोंको वहाँसे निकाल देनेकी कोशिशें की जा रही हैं उनमें से कितनोंकी तो दक्षिण आफ्रिका जन्मभूमि ही है । वाइसराय महोदयके इस कथनसे कि भारत सरकारने दक्षिण आफ्रिकाकी सरकारके पास अर्जियाँ भेजनेका अथवा न्यायकी भीख माँगनेका अधिकार हमेशासे अपने ही हाथमें रखा है, न तो उसके उन मित्रोंको सन्तोष मिला है और न हमें ही। दूसरे शब्दोंमें एक जबर्दस्त सरकार, जिस सरकारके बारेमें यह माना जाता है कि तीस करोड़ मनुष्योंकी किस्मत उसके अधीन है, अपनी लाचारी जाहिर कर रही है ! ऐसा क्यों ? कारण यह है कि दक्षिण आफ्रिका औपनिविशक स्वराज्य प्राप्त देश है और इसलिए भी कि वह यह धमकी दे रही है कि यदि भारत सरकार और सम्राट्की सरकारने उसके द्वारा की गई किसी भी कार्रवाईका विरोध या उसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो वह साम्राज्यसे सम्बन्ध विच्छेद कर लेगी ।

गृहनीति

लॉर्ड रीडिंगने शिष्टमण्डलसे कहा है कि जो राज्य औपनिवेशिक स्वराज्य हासिल किये हुए हैं उनके घरेलू मामलोंमें दखल देनेका अधिकार न तो भारत सरकारको है और न साम्राज्यीय सरकारको । जिस नीतिका उद्देश्य दक्षिण आफ्रिकामें बसे हुए हजारों भारतवासियोंकी खानाखराबी हो और उन्हें मनुष्यत्वके सामान्य अधिकारसे भी वंचित रखना हो, उस नीतिको “घरेलू नीति" के नामसे पुकारनेका मतलब ही क्या है ? भारतवासियोंके बजाय यदि यूरोपीय या अंग्रेज लोग ही ऐसी स्थितिमें होते तो क्या होता ?

एक उदाहरण पेश करता हूँ। आप यह जानते हैं कि बोअर युद्ध किसलिए हुआ था ? दक्षिण आफ्रिका में जो यूरोपीय लोग स्थायी रूपसे बस गये थे और जिनको ट्रान्सवालकी रिपब्लिकन सरकारने 'उटलेंडर्स' नाम दे रखा था, उनका संरक्षण करनेके लिए यह युद्ध छेड़ा गया था। स्वर्गीय श्री जोजेफ चैम्बरलेनका ब्रिटिश सरकारकी