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भाषण : कानपुर-अधिवेशनमें

है। वह दक्षिण आफ्रिका मूल निवासियोंकी तथा वहाँ बसे हुए भारतीयोंकी समान रूपसे हितैषिणी थीं; उनकी निगाह में काले गोरे सभी समान थे । उनके हृदय में भारतीयों, जुलु तथा बंटू जातिके लोगोंके प्रति इतना प्यार था मानो वे उन्हींकी सन्तान हों। उन्हें अन्य लोगोंको अपेक्षा दक्षिण आफ्रिकाके वतनीकी झोंपड़ी में ठहरना ज्यादा पसन्द था । वे दान करती थीं; परन्तु उसका ढिंढोरा नहीं पीटती थीं। दक्षिण आफ्रिका में ऐसे नर-रत्नों और स्त्री-रत्नोंने जन्म लिया है और उनका वहीं लालन-पालन भी हुआ है।

चेतावनी

मैं आपको अन्य अनेक व्यक्तियोंके नाम गिना सकता हूँ - जनरल स्मट्सके साथ मेरा परिचय है, यद्यपि में उनका मित्र होनेका दावा नहीं कर सकता । संघ सरकारकी तरफसे मेरे साथ समझौता इन्हीं सज्जनने किया था। उन्होंने ही कहा था कि "दक्षिण अफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीय स्वयं उस समझौतेके अधिकारी है । यह करार अपने अन्तिम रूपमें है; अब भारतीय सत्याग्रह करनेकी धमकी न दें और दक्षिण अफ्रिकाके गोरे यहाँ बसे हुए भारतीयोंको चैनसे बैठने दें", ये वचन भी जनरल स्मट्सके ही थे ।

लेकिन दक्षिण आफ्रिकासे मैंने पीठ फेरी नहीं कि भारतीयोंपर एकके बाद एक अन्याय होने शुरू हो गये। जनरल स्मट्सका वह वादा अब कहाँ गया ? एक दिन प्रत्येक मनुष्यको जिस मार्गसे जाना है, उसी मार्गसे एक दिन उन्हें भी तो जाना है । उनकी वाणी और करनी हो पीछे रह जायेगी। वे जनरल स्मट्सकी व्यक्तिगत हैसियत से बोले हों, सो बात नहीं है। उन्होंने एक राष्ट्रके प्रतिनिधिकी हैसियत से एक यथोचित बात कही थी। वे ईसाई होनेका दावा करते हैं; दक्षिण आफ्रिकाकी सर- कारका हरएक सदस्य अपनेको ईसाई कहता है । संसदका काम शुरू करनेसे पहले वे ' बाइबिल' में से प्रार्थना पढ़ते हैं और द० आ० का एक पादरी प्रार्थनासे ही सदन- का कार्य शुरू करता है। यह प्रार्थना जिस ईश्वरकी की जाती है वह ईश्वर न गोरोंका है, न हन्शियोंका, न मुसलमानोंका और न हिन्दुओंका । वह तो सभीका, सम्पूर्ण सृष्टिका ईश्वर है ।

मैं इस गौरवपूर्ण पदपर बैठा हुआ और अपनी जवाबदेहीको पूरी तरह समझता हुआ यह कहता हूँ कि दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंको जो आधारभूत न्याय प्राप्त करनेका हक है उस न्यायको देनेमें जरा भी संकोच किया गया और न्याय न किया गया तो वह आचरण 'बाइबिल ' के विरुद्ध होगा और वे ईश्वरके प्रति भी अश्रद्धा रखनेके दोषी बनेंगे ।

[ अंग्रेजीसे
यंग इंडिया, ७-१-१९२६