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९३. भेंट : एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिसे

कानपुर
२९ दिसम्बर, १९२५

एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिने गत शाम कांग्रेस अधिवेशनमें पास हुए पण्डित मोतीलाल नेहरू के प्रस्तावके बारेमें गांधीजीका मत जानने के लिए उनसे भेंट की। गांधीजीने प्रतिनिधिसे कहा :

मैंने कल कांग्रेसकी बैठकमें भाग नहीं लिया क्योंकि कल मेरा मौन दिवस था और जहाँतक बन सके मैं मौनके समय अपने स्थानसे बाहर नहीं जाता। जहाँतक स्वयं प्रस्तावका सम्बन्ध है, मेरी स्थिति इस प्रकार है। पटनामें मैंने सारा नियन्त्रण व्यक्तिगत रूपसे स्वराज्यवादी दलको सौंप दिया था और मैंने उन्हें ऐसी सहायता देनेका वादा किया था जैसा कोई कौंसिल विरोधी दे सकता है। मैं अब भी सिद्धान्त रूपसे कौंसिल प्रवेशके विरुद्ध हूँ । किन्तु मेरे सामने विकल्प अपने पुराने साथियोंको बिलकुल छोड़ देने या यथासम्भव उनकी सहायता करनेके बीच ही था। मुझे फैसला करनेमें कोई कठिनाई नहीं हुई। मैंने अनुभव किया कि यदि में सक्रिय रूपसे उन्हें सहायता नहीं दे सकता तो मुझे उन्हें किसी प्रकारकी हिदायत आदि भी न देनी चाहिए। इसलिए मुझे लगा कि मैं अपने जैसे दूसरे अपरिवर्तनवादियोंको भी यह सलाह दूं कि वे कांग्रेसपर कब्जा करनेकी कोशिश न करें और उसे स्वेच्छया स्वराज्यवादियोंको सौंप दें। मुझे खुशी है कि उन्होंने वैसा ही किया है।

प्र० -- क्या आप उस प्रस्तावसे सन्तुष्ट हैं जो कांग्रेसने पास किया है ?

वास्तव में पण्डित मोतीलाल नेहरूने मुझे वह प्रस्ताव दिखाया था। जब वे मेरे पास आये तो मैंने उनसे कहा कि प्रस्तावके पाठके बारेमें निर्णय करना उनका और स्वराज्यवादी दलका काम है। चूंकि उन्होंने प्रस्ताव मुझे दिखाया इसलिए मैंने कुछ सुझाव भी दिये थे। जो उन्हें ऐसे लगे कि वे विवेकपूर्वक स्वीकार कर सकते हैं उन्होंने स्वीकार कर लिये किन्तु कुछ ऐसे भी सुझाव थे, जिन्हें वे स्वीकार नहीं कर सके। लेकिन उन्हें स्वीकार करनेके लिए मेरा जोर देना भी उचित न था। मुझे अपने कर्तव्यका निर्वाह करना था और मैं अपने कर्तव्यका तभी निर्वाह कर सकता था जब कि मैं वही प्रस्ताव स्वीकार करता जो स्वराज्यवादी दलके अधिकांश प्रति- निधियोंको स्वीकार हो ।

यह पूछनेपर कि कांग्रेसके निर्णयके फलस्वरूप आपका भावी कार्यक्रम क्या होगा, गांधीजीने उत्तर दिया :

मेरा काम तो यही है कि मैं शान्त रहूँ; और जो रचनात्मक कार्य में कर सकूँ, करता रहूँ तथा बाकी अर्थात् कांग्रेसके प्रस्तावको कार्यान्वित करनेके दायित्वको