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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

चरखा संघके कार्यों तुम्हारी बहुत जरूरत पड़ेगी। इस समय मगनलालका सात दिनका उपवास चल रहा है। आज उसका तीसरा दिन है। इस उपवासका कारण... की लड़कियोंका झूठ बोलना है। उसकी तबीयत अच्छी है; इसलिए चिन्ताका कोई कारण नहीं । तुम उसका उपवास समाप्त होनेके बाद आ जाओ अथवा अभी आ जाओ। मुझे अभी तो तुमसे बहुत काम लेना है, इसलिए तुम अपनी योजनाओं में परिवर्तन कर लो।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ७७०५) से।

सौजन्य : नारणदास गांधी

९८. पत्र : शान्तिकुमार मोरारजीको

आश्रम
शुक्रवार [१ जनवरी, १९२६ ]


चि० शान्तिकुमार,

देवदास तो फिलहाल देवलालीमें मथुरादासकी सार-संभाल कर रहा है। लेकिन तुमने उसके नाम जो पत्र लिखा था, वह मेरे पास छोड़ गया है। उसमें पूछे गये एक प्रश्नका जवाब मुझे देना है। जो सदा नियमसे खादी पहनता हो, यदि वह किसी समय विवश होकर दूसरा कपड़ा पहन ले तो भी क्या वह पहननेवाला " माना जा सकता है ? मेरा उत्तर है कि वह अवश्य पहननेवाला" माना जाना चाहिए। मुझे तो ऐसा खयाल है कि मैं जवाब दे चुका हूँ ।

शोलापुरके झगड़ेका कुछ निर्णय हो गया है या यह प्रश्न अभीतक वैसाका वैसा ही पड़ा है ?

मेरा स्वास्थ्य अच्छा है। उपवासमें जितना वजन कम हो गया था वह फिर लगभग पूरा हो गया है। जब मैं कानपुर जा रहा था तब मुझे तुम्हारी ओरसे कोई एक टोकरी फल दे गया था ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ४६९८) की फोटो-नकलसे ।

सौजन्य : शान्तिकुमार मोरारजी


१. गांधीजीके कानपुरसे वापस आश्रम पहुँचनेपर आनेवाला शुक्रवार इसी तारीखका था।

२ व ३. मूलमें यहाँ अंग्रेजी शब्द 'हैबिच्युअल वीपरर' है।