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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

कांग्रेसके अगले अधिवेशनका बीड़ा असमने उठाया है। असम है तो हिन्दुस्तान- के उत्तरपूर्वके छोरमें। लेकिन वहाँके लोगों में उत्साहकी कोई कमी नहीं है। इसके अतिरिक्त जादू स्वयं कांग्रेसके नाम है। जो संस्था चालीस वर्षसे चल रही है उसकी उन्नतिके सम्बन्धमें कोई शंका नहीं कर सकता। कांग्रेसकी उन्नतिमें स्वराज्य निहित है। कांग्रेसका कल्याण हो। भारतकी जय हो।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, ३-१-१९२६

१०२. पत्र : रवीन्द्रनाथ ठाकुरको

साबरमती

३ जनवरी, १९२६

प्रिय गुरुदेव,

आपका मधुर पत्र मिला, धन्यवाद। इससे मुझे काफी राहत मिली है।

हृदय आपका,

मो० क० गांधी

अंग्रेजी पत्र (जी० एन० २२८५ तथा ४६३०) की फोटो-नकलसे।

१०३. पत्र हरिभाऊ उपाध्यायको

रविवार [३ जनवरी, १९२६][१]

भाई हरिभाऊ,

आपका खत मिला था। मार्तण्डकी[२] गलतीके लिए दुःख मानना अनावश्यक है। बहोत कम लड़के बच सके हैं। हम सावधान रहें। अपनी आत्म-शुद्धि करें, सत्य है कि हमारी ही गलतीयोंका प्रतिबिंब हम लड़कोंमें देखते हैं। तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा होगा।

बापूके आशीर्वाद

भाई हरिभाऊ उपाध्याय
७०, सराफा
इन्दौर

मूल पत्र (सी० डब्ल्यू० ६०५६) से।

सौजन्य : हरिभाऊ उपाध्याय

  1. १. ढाकको मुहरसे।
  2. २.प्रेषीके भाई।